पेटलावद में संपन्न हुआ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मालवा प्रांत का व्यवसायी वर्ग संघ शिक्षा वर्ग
प्रदर्शन ने बंधा समां, हजारों की रही उपस्थिति
समापन समारोह में स्वयंसेवकों ने समता, योग, घोष, और दंड (लाठी) संचालन का प्रदर्शन किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में समाजजन, मातृशक्ति, बच्चे और बुजुर्ग उपस्थित रहे। परिसर को रंगोली और सांस्कृतिक झांकियों से सजाया गया था, जिसमें भगवान बिरसा मुंडा, भगवान श्रीकृष्ण, गौशाला और वेस्ट से बेस्ट झांकियां प्रमुख आकर्षण रहीं। इन प्रदर्शनों ने दर्शकों के चेहरे पर आत्मविश्वास और गर्व की चमक ला दी।
मंचासीन रहे विशिष्ट अतिथि
कार्यक्रम में माननीय सर्वाधिकारी श्री सुरजीतसिंह जुनेजा, जिला संघचालक श्री मानसिंह भूरिया, महामंडलेश्वर स्वामी श्री जितेन्द्रानंद जी महाराज (नरसिंहानंद सेवा आश्रम, रायपुरिया) एवं मुख्य वक्ता श्री विनीथ नवाथे (प्रांत कार्यवाह, मालवा प्रांत) मंचासीन रहे। इनके अलावा संघ के अनेक वरिष्ठ कार्यकर्ता और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
विनीथ नवाथे का बौद्धिक: धर्म की पुनर्स्थापना का सूत्र
मुख्य वक्ता विनीथ नवाथे जी ने अपने प्रेरणादायक बौद्धिक में संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार के विचारों को स्मरण करते हुए कहा कि उन्होंने हिंदू गौरव की स्थापना और राष्ट्र पुनर्निर्माण हेतु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। संघ पर तीन बार प्रतिबंध लगे, फिर भी वह और अधिक शक्ति से उभरकर सामने आया।
उन्होंने कहा कि आज देश के सामने मिशनरी संस्थाओं, जिहादी ताकतों और वामपंथी विचारधारा की बड़ी चुनौती है, जो हिंदू समाज को तोड़ने का षड्यंत्र कर रही हैं। इन राष्ट्रविरोधी ताकतों का प्रतिकार आवश्यक है।
पंच परिवर्तन से होगी धर्म की स्थापना
विनीथ नवाथे जी ने कहा कि संघ अपने शताब्दी वर्ष की ओर अग्रसर होते हुए पांच विशेष क्षेत्रों पर कार्य केंद्रित कर रहा है:
- समरसता
- कुटुंब प्रबोधन
- पर्यावरण संरक्षण
- स्वदेशी जीवनशैली
- नागरिक अनुशासन
उक्त पंच परिवर्तनों से ही राष्ट्र में धर्मयुक्त जीवन व्यवस्था और संतुलित सामाजिक ढांचा स्थापित होगा।
संघ शिक्षा वर्ग: आत्मविकास की प्रयोगशाला
इस अवसर पर संघ शिक्षा वर्ग की महत्ता पर भी प्रकाश डाला गया। यह वर्ग केवल शारीरिक प्रशिक्षण का माध्यम नहीं बल्कि व्यक्तित्व निर्माण, राष्ट्रभावना, धर्मचिंतन और समर्पण का सशक्त मंच होता है।
जब सामान्य लोग ग्रीष्म अवकाश में आराम और पर्यटन की ओर आकृष्ट होते हैं, तब इन वर्गों में भाग लेने वाले स्वयंसेवक अपनी इच्छाशक्ति से संघ के प्रशिक्षण वर्ग में कड़ा श्रम करते हैं। यह तपस्या किसी गुरुकुल की साधना जैसी होती है, जिसमें व्यक्ति संयम, अनुशासन और राष्ट्र समर्पण की भावना से ओतप्रोत होता है।
चार स्तरों में होते हैं संघ शिक्षा वर्ग
संघ शिक्षा वर्ग चार स्तरों पर संचालित होते हैं:
- प्राथमिक वर्ग – सामान्यतः 1 सप्ताह का, जिला स्तर पर आयोजित होता है।
- संघ शिक्षा वर्ग – 20 दिवसीय प्रशिक्षण, प्रांतीय स्तर पर।
- कार्यकर्ता विकास वर्ग – 1 – 20 दिन का वर्ग, क्षेत्रीय स्तर पर।
- कार्यकर्ता विकास वर्ग – 2 – 25 दिन का वर्ग, प्रतिवर्ष केवल नागपुर में आयोजित होता है।
इन वर्गों में स्वयंसेवकों को वैचारिक, शारीरिक, सामाजिक और राष्ट्रीय दृष्टिकोण से सशक्त बनाया जाता है।
वैदिक जीवनशैली की पुनर्स्थापना
विनीथ नवाथे जी ने कहा कि हमारे वेद प्रकृति पूजक संस्कृति को दर्शाते हैं, और जनजातीय समाज आज भी उन परंपराओं को जीवित रखे हुए है। उन्होंने बताया कि आधुनिक शिक्षा और जीवनशैली में भले ही परिवर्तन आ गया हो, लेकिन हमारा सांस्कृतिक मूल आज भी मजबूत है, जिसे पुनः जाग्रत करने की आवश्यकता है।
"वसुधैव कुटुम्बकम्" की भावना के साथ
Dr.Talera's Multi-speciality Dental Clinic, Thandla
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