पर्यावरण रक्षा का संकल्प

संघ शिक्षा वर्ग में मातृहस्त भोजन: समरसता, परिवारिकता और संस्कारों का अद्भुत संगम


पेटलावद. (जितेश विश्वकर्मा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के व्यवसायी वर्ग के संघ शिक्षा वर्ग में रविवार का दिन ऐतिहासिक और सामाजिक समरसता की दृष्टि से विशेष रहा। यहां आयोजित मातृहस्त भोजन कार्यक्रम में 206 परिवारों के 480 सदस्य और संघ के 400 स्वयंसेवकों ने एक साथ बैठकर खुले मैदान में भोजन किया। यह आयोजन सिर्फ एक सामूहिक भोज नहीं था, बल्कि एक सांस्कृतिक और सामाजिक क्रांति का प्रतीक बन गया, जिसमें भारतीय जीवन मूल्यों, परिवार की महत्ता और सामाजिक समरसता के भाव को जीवंत रूप दिया गया।

मातृहस्त भोजन की अनूठी पहल

संघ शिक्षा वर्ग के 15 दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षकों को घर जैसा वातावरण देने और सामाजिक समरसता को बल देने हेतु यह मातृहस्त भोजन आयोजन किया गया। वर्ग स्थल पर एक खुले मैदान में 206 ब्लॉकों का निर्माण किया गया, जहां प्रत्येक ब्लॉक में एक परिवार बैठा और उनके साथ दो स्वयंसेवक भी सम्मिलित हुए। सभी ने एक साथ बैठकर भोजन किया। यह दृश्य अत्यंत प्रेरणादायक और भारतीय सामाजिक ताने-बाने को मजबूती प्रदान करने वाला था। परिवार अपने घर से दरी, थाली, भोजन और अन्य आवश्यक सामग्री लेकर आए थे, जिससे आत्मीयता और अपनापन की भावना और भी गहरी हुई।

संगठन और अनुशासन का परिचायक

शाम 6:30 बजे जैसे ही 206 परिवार वर्ग स्थल पहुंचे, उन्हें क्रमशः ब्लॉक नंबर आवंटित किए गए। प्रशिक्षकों और शिक्षकों को भी नियत स्थान दिया गया। संघ के स्वयंसेवकों द्वारा सभी व्यवस्थाएं इतनी सुनियोजित थीं कि कहीं कोई अव्यवस्था नहीं दिखी। यह आयोजन संघ की अनुशासनप्रियता और संगठनात्मक क्षमता का स्पष्ट प्रमाण था।

पर्यावरण रक्षा का संकल्प

मातृहस्त भोजन के उपरांत पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक और प्रेरणादायी पहल की गई। प्रत्येक परिवार को दो-दो पौधे भेंट किए गए और उनसे आग्रह किया गया कि वे इन पौधों को रोपित कर उन्हें वृक्ष रूप में विकसित करें। यह संदेश दिया गया कि हर परिवार अगली पीढ़ी को एक प्राकृतिक उपहार दे और पर्यावरण की रक्षा में सहभागी बने।

पंच परिवर्तन का संदेश

कार्यक्रम में मालवा प्रान्त के सह कार्यवाह श्री रघुवीरसिंह सिसौदिया ने उपस्थित 206 परिवारों को संबोधित करते हुए पंच परिवर्तन की अवधारणा पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि संघ अपने शताब्दी वर्ष में सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी वस्तुओं का प्रोत्साहन और नागरिक अनुशासन पर विशेष बल दे रहा है। जाति, वर्ग और क्षेत्रीय विभेदों से ऊपर उठकर सभी हिंदू समाज को एक सूत्र में पिरोने का प्रयास इस पंच परिवर्तन के माध्यम से किया जा रहा है।

परिवार को मूल इकाई मानें

श्री सिसौदिया ने अपने बौद्धिक वक्तव्य में कहा कि भारतीय संस्कृति परिवार प्रधान है, जबकि पश्चिमी संस्कृति व्यक्ति प्रधान। उन्होंने कहा कि हमें अपने बच्चों को भगवान के प्रति श्रद्धा, संयुक्त परिवार की महत्ता और पारिवारिक एकता का महत्व सिखाना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि कुटुंब प्रबोधन हमारे सामाजिक विकास की नींव है।

स्वदेशी को अपनाने का आह्वान

उन्होंने कहा कि यदि हम अपने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना चाहते हैं तो हमें स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग बढ़ाना होगा। स्वदेशी अपनाकर न केवल हम आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर होंगे, बल्कि देश के लोगों को भी सशक्त बना सकेंगे। यह केवल आर्थिक निर्णय नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय कर्तव्य है।

पर्यावरण सुरक्षा: तीन ‘प’ पर विशेष बल

श्री सिसौदिया ने पर्यावरण की गंभीर स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हमें ‘तीन प’ – पेड़, पानी और प्लास्टिक – पर कार्य करना होगा। पौधे लगाना, जल का संरक्षण करना और प्लास्टिक का प्रयोग बंद करना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि हमारे पूर्वजों ने वृक्षारोपण की परंपरा बनाई थी, जिसे हमें पुनर्जीवित करना होगा।

नागरिक अनुशासन: एक जिम्मेदारी

कार्यक्रम के अंत में उन्होंने नागरिक अनुशासन पर जोर देते हुए कहा कि सरकार से अपेक्षाएं रखने से पहले हमें अपने कर्तव्यों का भी ध्यान रखना होगा। समय पर कर चुकाना, ट्रैफिक नियमों का पालन करना, स्वच्छता बनाए रखना और सरकारी संपत्तियों की रक्षा करना नागरिक अनुशासन के मूल तत्व हैं। जब हम अनुशासित नागरिक बनेंगे, तभी राष्ट्र विकास के मार्ग पर अग्रसर होगा।

पथ संचलन: अनुशासन का अद्भुत प्रदर्शन

इस भव्य आयोजन के पूर्व प्रशिक्षुओं द्वारा नगर में पथ संचलन निकाला गया। संचलन में सभी स्वयंसेवक एक जैसी गणवेश में, हाथों में दंड लेकर और देशभक्ति गीतों के साथ कदम ताल करते हुए चले। यह संचलन वर्ग स्थल से प्रारंभ होकर मंडी प्रांगण तक गया और पुनः वर्ग स्थल पर समाप्त हुआ। नगरवासियों ने इस अनुशासन और संगठन की प्रशंसा करते हुए स्वयंसेवकों की सराहना की।

पेटलावद में आयोजित यह मातृहस्त भोजन और उससे जुड़ी गतिविधियाँ केवल संघ के एक वर्ग की गतिविधियाँ नहीं थीं, बल्कि यह भारतीय जीवन मूल्यों, पारिवारिक संस्कारों, सामाजिक समरसता और राष्ट्रीयता की भावना को प्रकट करने वाली एक प्रेरणादायी पहल थी। ऐसे आयोजन समाज को जोड़ने, पर्यावरण के प्रति सजगता और राष्ट्र निर्माण में जनभागीदारी को सुनिश्चित करने की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध होते हैं।  

Dr.Talera's Multi-speciality Dental Clinic, Thandla 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

". "div"