पटवारी रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार: पेटलावद क्षेत्र में लोकायुक्त की बड़ी कार्रवाई
शिकायत के आधार पर रची गई रणनीति
उक्त कार्रवाई शिकायतकर्ता रमेश गरवाल निवासी करणगढ़ की शिकायत के आधार पर की गई। रमेश गरवाल ने अपनी जमीन के सीमांकन के लिए लोक सेवा केंद्र के माध्यम से आवेदन किया था। लेकिन सीमांकन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए पटवारी विशाल गोयल द्वारा ₹12,500 की अवैध राशि की मांग की गई।
रमेश ने यह जानकारी इंदौर लोकायुक्त पुलिस को दी, जिसके बाद एक टीम का गठन कर जाल बिछाया गया। तय योजना के अनुसार, जब रमेश ने पटवारी को रिश्वत की राशि दी, उसी समय लोकायुक्त की टीम ने उसे रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
लोकायुक्त की कार्रवाईउपरोक्त कार्रवाई में इंदौर लोकायुक्त टीम के डीएसपी सुनील तालन के नेतृत्व में टीआई दिनेश भोजक, हेड कांस्टेबल प्रमोद यादव, आरक्षक शैलेंद्र बघेल, कृष्णा अहिरवार, रामेश्वर निकवाल सहित अन्य अधिकारी शामिल थे। टीम ने अत्यंत गोपनीयता से कार्रवाई को अंजाम दिया और जैसे ही पटवारी ने रिश्वत की राशि अपने हाथ में ली, टीम ने उसे तत्काल गिरफ्तार कर लिया।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज
पटवारी विशाल गोयल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है। आरोपी को पेटलावद के रेस्ट हाउस में ले जाकर उससे पूछताछ की जा रही है। वहीं, जब्त की गई राशि को साक्ष्य के तौर पर कब्जे में लिया गया है।
पटवारी विशाल गोयल लोकायुक्त ट्रेप के बाद निलंबित, कलेक्टर नेहा मीना की त्वरित कार्रवाई
झाबुआ जिले में भ्रष्टाचार के खिलाफ त्वरित और सख्त रुख अपनाते हुए कलेक्टर नेहा मीना ने पेटलावद तहसील के पटवारी श्री विशाल गोयल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई लोकायुक्त दल द्वारा की गई ट्रेप कार्रवाई के बाद की गई, जिसमें पटवारी को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया था।
तहसीलदार पेटलावद द्वारा कलेक्टर को प्रस्तुत प्रतिवेदन के आधार पर यह निर्णय लिया गया। प्रतिवेदन में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि पटवारी विशाल गोयल, जो कि हल्का नंबर 13 मोईचारिणी, तहसील पेटलावद में पदस्थ थे, उन्हें लोकायुक्त दल ने रिश्वत लेते हुए पकड़ा। इस आधार पर उन्हें म.प्र. सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम, 1966 के नियम 9 के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।
थांदला में नियत किया गया निलंबनकालीन मुख्यालय
निलंबन आदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि निलंबन की अवधि में श्री गोयल का मुख्यालय तहसील थांदला, जिला झाबुआ नियत किया गया है। उन्हें नियमों के अनुसार इस अवधि में जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता दी जाएगी।
इस पूरे घटनाक्रम ने प्रशासनिक हलकों में खलबली मचा दी है। भ्रष्टाचार के खिलाफ जिला प्रशासन की यह त्वरित कार्रवाई एक सख्त संदेश देती है कि किसी भी सरकारी कर्मचारी को नियमों का उल्लंघन करने और जनहित के कार्यों में बाधा डालने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
लोकायुक्त की कार्रवाई के बाद कड़ी प्रशासनिक कार्रवाई
यह उल्लेखनीय है कि ग्राम करणगढ़ में एक नागरिक द्वारा जमीन के सीमांकन के लिए आवेदन दिया गया था, जिस पर पटवारी द्वारा ₹12,500 की रिश्वत की मांग की गई थी। इस मामले की शिकायत इंदौर लोकायुक्त पुलिस से की गई थी, जिसने रणनीति बनाकर पटवारी को रंगे हाथों रिश्वत लेते हुए पकड़ा।
कलेक्टर नेहा मीना द्वारा दिखाई गई संवेदनशीलता और प्रशासनिक सतर्कता की क्षेत्र में सराहना की जा रही है। इससे अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों को भी यह सख्त संदेश गया है कि किसी भी प्रकार की अनियमितता या भ्रष्ट आचरण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पटवारी विशाल गोयल के निलंबन की यह कार्रवाई न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह आमजन में शासन के प्रति विश्वास को भी मजबूत करती है। जिले में सरकारी कार्यप्रणाली को साफ-सुथरा और जवाबदेह बनाए रखने के लिए इस तरह की तत्परता आवश्यक है, और कलेक्टर नेहा मीना ने इस दिशा में अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।
क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी कार्रवाई
यह कार्रवाई पेटलावद क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई है। आमजन में इस बात की सराहना की जा रही है कि आखिरकार एक साहसी कदम उठाकर एक भ्रष्ट अधिकारी को कानून के शिकंजे में लाया गया। ग्रामीणों ने भी लोकायुक्त पुलिस की कार्यप्रणाली की प्रशंसा की और उम्मीद जताई कि इस प्रकार की कार्रवाइयों से अन्य भ्रष्ट कर्मचारियों में भी डर पैदा होगा।
सरकारी तंत्र में विश्वास बहाल
लोकायुक्त पुलिस की इस कार्रवाई से क्षेत्र में यह संदेश गया है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी यदि जनता से रिश्वत की मांग करता है, तो वह कानून की पकड़ से बच नहीं सकता। इससे आम जनता का सरकारी तंत्र में विश्वास बढ़ेगा।
अगली कार्यवाही की प्रतीक्षा
फिलहाल लोकायुक्त पुलिस आरोपी से पूछताछ कर रही है। आगे की कार्रवाई के तहत आरोपी को न्यायालय में पेश किया जाएगा, जहां से उसे रिमांड पर लिया जा सकता है। साथ ही, विभागीय स्तर पर भी पटवारी के विरुद्ध निलंबन एवं अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
पेटलावद क्षेत्र में भ्रष्टाचार के विरुद्ध यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इससे न केवल सरकारी तंत्र में पारदर्शिता की उम्मीद बंधी है, बल्कि आमजन को यह भी विश्वास हुआ है कि उनकी शिकायतों पर सख्त कार्रवाई संभव है। लोकायुक्त पुलिस की यह कार्रवाई उन सभी कर्मचारियों के लिए एक स्पष्ट संदेश है, जो अपने पद का दुरुपयोग कर जनता को परेशान करते हैं।
इस घटना ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि यदि आम नागरिक जागरूक हो और अपने अधिकारों के प्रति सजग रहे, तो भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म किया जा सकता है। लोकायुक्त की कार्रवाई ने जनता को न्याय दिलाने की दिशा में एक मजबूत कदम उठाया है।
Dr.Talera's Multi-speciality Dental Clinic, Thandla
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