स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में तैनात

भामल गांव में उल्टी-दस्त का कहर: अब तक 50 से अधिक ग्रामीण बीमार, कारण पर संशय बरकरार

कलेक्टर-एसपी पहुंचे पेटलावद अस्पताल, मरीजों से की चर्चा, स्वास्थ्य विभाग ने डाला डेरा
पेटलावद (जितेश विश्वकर्मा).                                               थांदला जनपद की ग्राम पंचायत भामल में उल्टी-दस्त का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। शनिवार देर रात से शुरू हुई बीमारी की चपेट में अब तक करीब 50 ग्रामीण आ चुके हैं, जिनका इलाज पेटलावद के सिविल अस्पताल में किया जा रहा है। इनमें से दो गंभीर मरीजों को झाबुआ रेफर भी किया गया है। सोमवार सुबह तक भी मरीजों का अस्पताल पहुंचना जारी रहा। इस अप्रत्याशित हालात के चलते प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह अलर्ट मोड पर है।

कलेक्टर-एसपी ने की अस्पताल में समीक्षा
सोमवार को झाबुआ कलेक्टर नेहा मीना और पुलिस अधीक्षक पद्म विलोचन शुक्ल ने पेटलावद अस्पताल का दौरा किया। उन्होंने वहां भर्ती मरीजों से चर्चा कर उनकी स्थिति जानी और उपस्थित चिकित्सकों से उपचार की जानकारी ली। कलेक्टर ने सिविल हॉस्पिटल में बच्चों के वार्ड का भी निरीक्षण कर डॉक्टरों की टीम को विशेष सतर्कता के साथ इलाज करने के निर्देश दिए।

गांव में दहशत, बीमारी का कारण स्पष्ट नहीं
भामल गांव में शनिवार शाम से जैसे ही एक-दो मरीजों में उल्टी-दस्त के लक्षण दिखाई दिए, वैसे ही यह संख्या तेजी से बढ़ती चली गई। रविवार को सुबह से देर रात तक मरीज अस्पताल पहुंचते रहे। सोमवार सुबह तक मरीजों का आना जारी रहा। हालत यह रही कि अस्पताल में विशेष वार्ड बनाकर मरीजों को रखा गया और अतिरिक्त स्टाफ को तैनात किया गया।
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, एकादशी के व्रत के चलते कई लोगों ने उपवास रखा था, जिसके बाद रात में गांव में लोगों को उल्टी-दस्त की शिकायत शुरू हो गई। प्रारंभिक आशंका गांव में गंदे पानी की सप्लाई को लेकर जताई जा रही थी। ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत स्तर पर स्वच्छ पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गई, जिससे दूषित जल सेवन के कारण यह स्थिति बनी।

पीएचई विभाग ने पानी को बताया सुरक्षित
हालांकि पीएचई (लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी) विभाग द्वारा मौके से पानी के सैंपल लेकर जांच की गई, जिसमें पानी को मानक अनुसार सुरक्षित बताया गया है। विभाग ने स्पष्ट किया कि पानी में किसी प्रकार की अशुद्धि या बैक्टीरिया नहीं मिले हैं। इससे प्रशासन के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि यदि पानी दोषी नहीं है तो आखिर गांव में बीमारी की वजह क्या है?

फूड पॉइजनिंग की संभावना पर भी संदेह
बीमारी के पीछे फूड पॉइजनिंग की आशंका भी जताई जा रही है, लेकिन ग्रामीण इस तर्क को पूरी तरह स्वीकार नहीं कर रहे हैं। उनका कहना है कि पूरे गांव में इतने लोगों को एक साथ खाना कहां और कैसे परोसा गया जो सबको बीमार कर दे। इसलिए जब तक वास्तविक कारण का पता नहीं चलता, ग्रामीणों में भय और भ्रम की स्थिति बनी रहेगी।

स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में तैनात
बीमारी की जानकारी मिलते ही स्वास्थ्य विभाग की टीम ने भामल गांव में डेरा डाल दिया है। घर-घर जाकर सर्वे किया जा रहा है और बीमार लोगों को दवाइयां वितरित की जा रही हैं। चिकित्सा अमले द्वारा संभावित संदिग्ध स्रोतों की भी पहचान की जा रही है ताकि भविष्य में और लोग इसकी चपेट में न आएं।

प्रशासन गंभीर किन्तु ग्रामीणों को चाहिए जवाब
पूरे घटनाक्रम को देखते हुए प्रशासन की सक्रियता तो बनी हुई है, लेकिन ग्रामीणों की जिज्ञासा और चिंता का समाधान नहीं हो पा रहा है। पीएचई द्वारा पानी को क्लीन चिट देने के बाद भी बीमारी का रहस्य बरकरार है। ग्रामीणों ने प्रशासन से स्पष्ट और पारदर्शी जांच की मांग की है, जिससे कारणों की सही जानकारी सामने आ सके।
इस पूरे मामले को लेकर प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने जांच रिपोर्ट आने तक विशेष निगरानी रखने और स्थिति पर नियंत्रण बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। वहीं, अस्पताल में भर्ती मरीजों की हालत अब स्थिर बताई जा रही है और कुछ को छुट्टी भी दी जा चुकी है।

Dr.Talera's Multi-speciality Dental Clinic, Thandla 


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