पेटलावद पुलिस थाने में हुआ शस्त्र पूजन कार्यक्रम

पेटलावद पुलिस थाने में विजयादशमी पर्व पर उत्साहपूर्वक हुआ शस्त्र पूजन


पेटलावद (जितेश विश्वकर्मा)

बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक पर्व विजयादशमी (दशहरा) पूरे देशभर में श्रद्धा, आस्था और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस पावन अवसर पर परंपरा के अनुसार पुलिस विभाग द्वारा शस्त्र पूजन का आयोजन भी किया जाता है। इसी गौरवशाली परंपरा का निर्वहन करते हुए, इस वर्ष भी पुलिस थाना पेटलावद में शस्त्र पूजन का कार्यक्रम पूरे विधि-विधान और पारंपरिक रीति से सम्पन्न हुआ।

कार्यक्रम की शुरुआत सुबह विशेष तैयारी के साथ की गई। थाना परिसर में एक स्थान पर सभी शस्त्रों और उपकरणों को साफ-सुथरा कर सम्मानपूर्वक सजाया गया। शस्त्र, जो न केवल पुलिस बल के कार्य करने के प्रमुख साधन हैं बल्कि सुरक्षा और शक्ति के प्रतीक भी माने जाते हैं, इस अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना के पात्र बने।

अधिकारियों की उपस्थिति और सहभागिता

इस धार्मिक और परंपरागत आयोजन में एसडीओपी सुश्री अनुरक्ति साबनानी तथा टीआई निर्भयसिंह भूरिया विशेष रूप से उपस्थित रहे। दोनों अधिकारियों ने न केवल कार्यक्रम का नेतृत्व किया बल्कि स्वयं पूजा-अर्चना में भी सहभागिता की। उनकी उपस्थिति से पुलिस कर्मियों का उत्साह और अधिक बढ़ गया।

पूजा-पाठ का संपूर्ण विधि-विधान स्थानीय पंडित प्रफुल्ल शुक्ला द्वारा कराया गया। उन्होंने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा सम्पन्न कराई। पुलिसकर्मियों ने श्रद्धा भाव से अपने-अपने कार्य में उपयोग होने वाले शस्त्रों और उपकरणों की पूजा की। यह आयोजन केवल धार्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं था, बल्कि यह पुलिस बल में एकता, परंपरा और जिम्मेदारी की भावना को भी मजबूत करने वाला रहा।

पूजा की विधि और महत्व

शस्त्र पूजन का भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व है। प्राचीन काल से ही शस्त्रों को शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक माना गया है। विजयादशमी के दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध कर बुराई पर अच्छाई की विजय प्राप्त की थी। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए आज भी इस दिन शस्त्र पूजन किया जाता है।

पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी में जिन शस्त्रों और उपकरणों का उपयोग करते हैं, वे जनता की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। ऐसे में विजयादशमी पर इन शस्त्रों की पूजा करना, शक्ति और सुरक्षा को सम्मान देने के साथ-साथ कर्तव्यपालन की प्रतिज्ञा को भी दोहराना है।

पूजा के उपरांत निरीक्षण और वाहन पूजन

शस्त्र पूजन के उपरांत, अधिकारियों द्वारा सभी शस्त्रों का निरीक्षण भी किया गया। यह निरीक्षण केवल परंपरा का हिस्सा ही नहीं बल्कि कार्यकुशलता और सुरक्षा की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।

थाना परिसर में मौजूद सरकारी वाहनों की भी विधि-विधान से पूजा की गई। इन वाहनों का पुलिस व्यवस्था में विशेष महत्व है क्योंकि इनके माध्यम से ही समय पर घटनास्थल पर पहुंचकर जनता की सहायता की जाती है और कानून व्यवस्था बनाए रखी जाती है। इसलिए वाहनों की पूजा भी परंपरा का अहम अंग रही।

अन्य पुलिस चौकियों में भी हुआ आयोजन

केवल मुख्य थाना पेटलावद में ही नहीं, बल्कि थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सभी पुलिस चौकियों में भी शस्त्र पूजन का कार्यक्रम उत्साह और परंपरा के अनुसार सम्पन्न किया गया। चौकियों में भी पुलिसकर्मियों ने अपने-अपने शस्त्रों की पूजा कर, शक्ति और सुरक्षा के प्रति अपनी निष्ठा को प्रकट किया।

एसडीओपी और टीआई का वक्तव्य

कार्यक्रम के उपरांत एसडीओपी अनुरक्ति साबनानी और टीआई निर्भयसिंह भूरिया ने संयुक्त रूप से बताया कि यह आयोजन केवल धार्मिक या पारंपरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह पुलिस बल की जिम्मेदारियों की भी याद दिलाता है। विजयादशमी बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है, और पुलिस बल का कार्य भी समाज से बुराइयों को दूर कर शांति व सुरक्षा स्थापित करना है।

उन्होंने कहा कि शस्त्र पूजन हमें यह संदेश देता है कि शस्त्र केवल हिंसा के लिए नहीं बल्कि सुरक्षा और न्याय की स्थापना के लिए हैं। जब इन्हें सही उद्देश्य से उपयोग किया जाता है, तब ये समाज की रक्षा के सबसे सशक्त साधन बनते हैं।

कार्यक्रम का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व

पुलिस थाना पेटलावद में हुआ यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान भर नहीं था, बल्कि इसमें एक गहरा सांस्कृतिक और सामाजिक संदेश भी छिपा था। यह आयोजन पुलिस बल की कार्यशैली में अनुशासन, श्रद्धा और परंपरा के संतुलन को दर्शाता है।

जहां एक ओर यह आयोजन धार्मिक परंपराओं के निर्वहन का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर यह पुलिस बल के उस कर्तव्य की याद भी दिलाता है जो उन्हें समाज के प्रति निभाना है। विजयादशमी का पर्व हमें यह भी सिखाता है कि अच्छाई और न्याय की जीत हमेशा सुनिश्चित है।

पेटलावद पुलिस थाने में हुआ शस्त्र पूजन कार्यक्रम पूरे सम्मान और आस्था के साथ सम्पन्न हुआ। इसमें शामिल हर पुलिसकर्मी ने अपने शस्त्र और उपकरणों की पूजा कर यह संकल्प लिया कि वे सदैव समाज की भलाई, सुरक्षा और न्याय की रक्षा के लिए कार्य करेंगे।

इस अवसर पर हुआ आयोजन पुलिस बल की परंपरा, जिम्मेदारी और सामाजिक दायित्व का अद्वितीय उदाहरण रहा। विजयादशमी जैसे पर्व पर शस्त्र पूजन का यह कार्यक्रम पुलिस और जनता के बीच विश्वास और सुरक्षा की भावना को और मजबूत करता है।

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