सप्ताह की शुरुआत वार से नहीं, परिवार से करो : साध्वी श्री ज्योतिषमतिजी
पेटलावद. पर्युषण पर्व का प्रत्येक क्षण आत्मा को महान और पवित्र बनाने का संदेश देता है। यह पर्व हमें प्रेरित करता है कि जैसे हर लहर सागर में विलीन होकर सागर का स्वरूप ले लेती है, वैसे ही हर आत्मा भी साधना और आराधना के मार्ग पर चलकर महावीर जैसी महान बन सकती है। चौथे दिन की धर्मसभा में साध्वी श्री ज्योतिषमतिजी ने जीवन को भव्य और सुंदर बनाने की प्रेरणा देते हुए कहा कि जीवन को हमें रंगोली की तरह नहीं बनाना चाहिए, जो थोड़े समय में मिट जाती है। बल्कि इसे स्थायी, संस्कारित और सशक्त बनाना चाहिए। उन्होंने विशेष रूप से यह संदेश दिया कि “सप्ताह की शुरुआत वार से नहीं, परिवार से करनी चाहिए।”मां-बेटी के रिश्ते पर विशेष संदेश
साध्वी श्री ज्योतिषमतिजी ने अपने प्रवचन में मां-बेटी के रिश्ते की गहराई पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एक मां को तीन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
पहली बात, कोख में आई बेटी के भ्रूण की हत्या कभी न करें, क्योंकि यह कृत्य परिवार में अशांति लाता है और पाप का कारण बनता है।
दूसरी बात, अपनी सामाजिक व्यस्तताओं, क्लब-किटी पार्टी और सेवा कार्यों में उलझकर मां को बेटी को संस्कार देने में चूक नहीं करनी चाहिए। आज अनेक बेटियां संस्कारों के अभाव में गलत मार्ग पर जा रही हैं।
तीसरी बात, जब बेटी को ससुराल भेजें तो यह कहकर विदा न करें कि “किसी से दबना मत, हमारा घर तेरे लिए हमेशा खुला है।” साध्वीजी ने कहा कि पीहर की यह शह कई बार परिवारों को तोड़ देती है, अशांति और तलाक का कारण बन जाती है।
पिता सहनशीलता का प्रतीक
धर्मसभा में साध्वी श्री प्रमिलाजी ने पिता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि धन तो कोई भी कमा सकता है, लेकिन सहनशीलता सिखाने वाला केवल पिता ही होता है। पिता धीरज का देवता है, शांति का साधक है और कठिन से कठिन परिस्थिति में भी घर-परिवार को संभालने वाला होता है।
उन्होंने कहा कि पिता प्रसन्नता का मसीहा, खुशी का खजाना और यादगार पलों का निशान होता है। जीवन में होश और जोश भरने वाला पिता ही है। हर मुसीबत में रक्षा करने वाला और समाधान की चाबी देने वाला पिता ही होता है। अनुभव का भंडार, यादों का तराना और जीवन का पथ प्रदर्शक भी पिता ही है। इसलिए हर संतान को अपने पिता का हमेशा सम्मान करना चाहिए।
पर्युषण पर्व पर उल्लास और तपस्याएं
पर्युषण पर्व के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु धर्मसभा में उपस्थित रहे। चौथे दिन 40 से अधिक तेले संपन्न हुए और अनेक गुप्त तपस्याएं भी श्रीसंघ में गतिमान रहीं। साधकों ने अपने संकल्पों और व्रतों के माध्यम से आत्मशुद्धि और आत्मोत्थान का संकल्प लिया।
धर्म सभा में प्रभावना अशोक कुमार बापूलाल मेहता परिवार की ओर से वितरित की गई।
पर्युषण पर्व पर धर्मसभा ने समाज को यह संदेश दिया कि परिवार ही जीवन की असली पूंजी है। मां-बेटी का पवित्र रिश्ता और पिता की सहनशीलता जीवन को मजबूती और संस्कार प्रदान करते हैं। साध्वी श्री ज्योतिषमतिजी और साध्वी श्री प्रमिलाजी के प्रवचनों ने उपस्थित जनों को परिवार और संबंधों को प्राथमिकता देने तथा जीवन को साधना और संस्कारों से सजाने की प्रेरणा दी।
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