"ऊंच-नीच का भेद न माने, वहीं श्रेष्ठ ज्ञानी"

बुद्ध पूर्णिमा पर सामाजिक समरसता के लिए श्री शत्रुहंता सूर्यमुखी हनुमानगढ़ धाम समिति द्वारा प्रवचन का आयोजन

जाति के आधार पर नहीं, कर्म के आधार पर कार्य करती है वर्ण व्यवस्था – सुश्री वैष्णवी भट्ट

पेटलावद.

बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर श्री शत्रुहंता सूर्यमुखी हनुमानगढ़ धाम समिति द्वारा सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने हेतु संत रविदास मंदिर प्रांगण में एक दिव्य प्रवचन कार्यक्रम आयोजित किया गया। विदुषी कथा प्रवक्ता सुश्री वैष्णवी भट्ट ने अपने प्रवचन में कहा कि "ऊंच-नीच का भेद न माने, वहीं श्रेष्ठ ज्ञानी" — यह भाव प्रकृति हमें सिखाती है। प्रकृति में कोई भेदभाव नहीं होता और वही भगवान का स्वरूप है। यदि प्रकृति भेद नहीं करती, तो हम मनुष्य आपस में भेदभाव कैसे कर सकते हैं?

उन्होंने आगे कहा कि वर्ण व्यवस्था कर्म आधारित थी, जिसे विकृत कर जातिवाद का रूप अंग्रेजों ने “फूट डालो और राज करो” की नीति के तहत थोप दिया। चारों वर्ण भगवान की संतान हैं, इसलिए हम सभी भाई-भाई हैं।

कार्यक्रम की शुरुआत संत रविदास जी के चित्र पर माल्यार्पण, पूजन एवं दीप प्रज्वलन से हुई। इसके पश्चात समिति के सदस्यों द्वारा सुश्री वैष्णवी भट्ट का पौथी पूजन कर सम्मान किया गया। हजारों श्रद्धालुओं ने प्रवचन में भाग लेकर धर्म लाभ प्राप्त किया।

बस दुर्घटना में बचाव कार्य करने वाले सहयोगियों का पुलिस परिवार द्वारा सम्मान

11 मई की दरम्यानी रात पत्थरपाड़ा के समीप एक बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी, जिसमें 3 लोगों की मृत्यु और 13 घायल हुए। रात्रि 1 बजे पुलिस प्रशासन को बचाव में सहयोग देने वाले नागरिकों का पुलिस परिवार और नगर निरीक्षक दिनेश शर्मा द्वारा सम्मान किया गया। सम्मानित व्यक्तियों में क्रेन ऑपरेटर प्रदीप तिवारी, मनसुख मुणिया, जेसीबी ऑपरेटर रमजू नानकिया, मनीष जायसवाल और सहयोगी जवरसिंह पिता कालू शामिल हैं। इस दौरान सूबेदार धर्मेंद्र पटेल, पवन चौहान और विवेक शर्मा भी मौजूद थे।

वरिष्ठजनों का भी हुआ सम्मान

कार्यक्रम में क्षेत्र की वरिष्ठ महिला श्रीमती केसरबाई डुंगा जी चौहान और सामाजिक सहयोगी जगदीश जाटव का भी सम्मान किया गया। इस अवसर पर समिति के प्रमुख सदस्य मनोज जानी, सोनू विश्वकर्मा, सुरभीत भंडारी, धन्नालाल हामड़, कमलेश भानपुरिया, रामचंद्र राठौर, शांतिलाल हामड़, संजय लोढ़ा, जितेंद्र सेन, गोपाल राठौड़, जितेश विश्वकर्मा, कैलाश मिस्त्री, मोहित मोरे सहित अनेक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

वसुधैव कुटुंबकम की भावना का स्मरण

प्रवचन के दौरान सुश्री वैष्णवी भट्ट ने कहा कि भारत में वसुधैव कुटुंबकम की भावना निहित है। भारत ने कोरोना काल में भी संपूर्ण विश्व की सहायता कर इस भावना को सिद्ध किया है। उन्होंने भगवान बुद्ध के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सिद्धार्थ से बुद्ध बनने की प्रक्रिया में त्याग, वैराग्य और समानता का जो भाव दिखता है, वह प्रेरणादायक है।

उन्होंने कहा कि संत शिरोमणि रविदास जी को ठाकुर जी स्वयं संत वेश में दर्शन देने आए थे। हमें भी वैष्णवता धारण कर सभी के प्रति समानता का भाव रखना चाहिए।

इस अवसर पर श्री राधा रमण जी का प्राकट्य उत्सव भी मनाया गया। प्रवचन के उपरांत संत रविदास जी की आरती और अंत में महाप्रसादी का वितरण किया गया। कार्यक्रम का संचालन वीरेंद्र भट्ट ने किया और आभार जगदीश जाटव ने माना।

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