दशा माता का पूजन आस्था और उल्लास से परिपूर्ण रहा

थांदला नगर में श्रद्धा और उल्लास से मनाया गया दशा माता का पूजन

थांदला. नगर में आज परंपरा और आस्था का प्रतीक दशा माता का पूजन बड़े ही श्रद्धा और उल्लास के साथ संपन्न हुआ। महिलाओं ने इस पावन अवसर पर पूरे विधि-विधान से दशा माता का पूजन किया और अपने परिवार के लिए सुख-समृद्धि प्राप्त करने हेतु मंगलकामना की।

सुबह से ही नगर के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं का उत्साह देखा गया। महिलाएं पारंपरिक परिधानों में सज-धज कर पूजन स्थलों पर पहुंचीं। नगर के मुख्य मंदिरों और सार्वजनिक स्थलों पर विशेष रूप से दशा माता पूजन के लिए सजावट की गई थी। अनेक स्थानों पर सामूहिक रूप से पूजन का आयोजन किया गया। 

पूजन विधि और परंपरा

होली के बाद दशामाता पूजन फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और दशा माता की कथा का श्रवण करती हैं। पूजन सामग्री में हल्दी, कुमकुम, दूब, रोली, अक्षत (चावल) और फल-फूल शामिल होते हैं। महिलाएं एक धागे को गूंथकर दशा माता की प्रतिमा या चित्र के समक्ष अर्पित करती हैं और अपने परिवार की खुशहाली की प्रार्थना करती हैं। पूजन के दौरान पुरोहितों ने दशामाता की कथा सुनाई, जिसमें बताया गया कि माता की कृपा से समस्त कष्टों का निवारण होता है और परिवार में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

महिलाओं का उत्साह और सहभागिता 

इस अवसर पर महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किए। एक महिला ने कहा, "हम दशा माता से प्रार्थना करते हैं कि हमारे परिवार में सुख-शांति बनी रहे और बुरी दशाओं का नाश हो। यह पूजन हमें हमारी परंपरा से जोड़ता है और समाज में एकजुटता को बढ़ावा देता है।

आस्था और उल्लास से परिपूर्ण

नगर में दशा माता का पूजन पूरी श्रद्धा, आस्था और समर्पण भाव के साथ संपन्न हुआ। इस आयोजन ने महिलाओं को एकजुटता, सहयोग और समर्पण का संदेश दिया। 
दशा माता पुजन आस्था और उल्लास से परिपूर्ण रहा, जो नारी शक्ति की भावना को सशक्त करता है और परिवार की खुशहाली की प्रार्थना का प्रतीक है।

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