ग्रीष्मकालीन धार्मिक संस्कार शिविर में जैन रत्न दमोह कलेक्टर सुधीर कोचर ने बच्चों को मार्गदर्शन दिया

चौबीस घंटे लोगों के जीवन में उजाला लाने के लिए काम करता हूं- कलेक्टर सुधीर कोचर

(जीतेश विश्वकर्मा)

पेटलावद. ग्रीष्मकालीन धार्मिक संस्कार शिविर के अंतिम पांचवें दिन विशेष वक्ता के रूप में जैन रत्न एवं दमोह कलेक्टर श्री सुधीर कोचर विशेष रूप से शिविर के बच्चों को मार्गदर्शन देने  के लिए पेटलावद पधारे। आपने इस अवसर पर बच्चों से सीधे बात की और प्रश्नों का समाधान भी दिया। 

श्री कोचर ने शिविर में बच्चों से कहा जीवन को पांच विभागों में बांट दे। व्यक्तित्व विकास, कैरियर विकास, सामाजिक विकास, आध्यात्मिक विकास और आर्थिक विकास जो व्यक्ति इन विभागों में विकास कर लेता है उसका जीवन सफल हो जाता है। 

स्वस्थ रहना है तो तीन काम करें। रोज कम से कम आठ किलोमीटर पैदल चले एवं खूब पानी पिए अपनी जीभ पर नियंत्रण रखें। हमेशा सीमित खाएं अच्छा खाएं। ऐसी जीवन शैली से में स्वस्थ हूं प्रसन्न हूं। अपने आपको हमेशा अप टू डेट रखें। जिंदगी का सफर आसान बनाना है तो जितना  सामान कम होगा उतना सफर आसान होगा कि अंदाज में रहे। 

जो व्यक्ति अपने गुस्से को पहचान लेता है उसके जीवन से गुस्सा चला जाता है। ऐसा प्रयास भी एक प्रकार की साधना है, मैं चौबीस घंटे लोगों के जीवन में उजाला लाने का काम करता हूं। मुझे कभी कहीं से किसी प्रकार का कोई दबाव नहीं आता है और मैं जी भर के लोगों की सेवा करता हूं। 

भारत में अब पढ़ाई में अंकों से ज्यादा प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता पाना महत्वपूर्ण हो गया है अतः पढ़ाई जी भर कर करें, पर नब्बे या सौ प्रतिशत का टेंशन ना ले। परीक्षा देते समय भय लगना नर्वस होना सहज प्रक्रिया है। इससे नहीं घबराऐ हां डर की अति अपने अंदर ना आने दे। मुझे मेरे माता-पिता ने एक शर्त पर आई ऐ एस की पढ़ाई करने की स्वीकृति दी कि हर बार मुझे टॉप करना होगा और पहली बार में ही परीक्षा में सफलता प्राप्त करनी होगी वरना घर का बिजनेस संभालना होगा। मैंने वह चैलेंज स्वीकार किया और आठवीं से आगे की हर कक्षा में मैंने टॉप किया और पहली बार में ही आई ऐ एस की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली। मेरा आपसे कहना है की पढ़ाई आप हमेशा किसी न किसी के साथ कंपनी बनाकर करें। कभी अपने आप को अकेला न रहने दे। हमेशा बोलकर या लिखकर ही पढे। चल चल कर पढ़ें। इस तरह से की जाने वाली पढ़ाई बहुत ही सार्थक परिणाम देती है। अपनी दैनिक समय सारणी को हमेशा व्यवस्थित और व्यस्त रखने वाली बनाएं। जो विद्यार्थी सूरज कब उगता है कब डूबता है को याद कर पढ़ाई करता है वह दो कदम पीछे हो जाता है। जो समय अच्छा लगे हमें उसी समय पढ़ाई करना चाहिए। मेने पंद्रह से लेकर अठारह घंटे तक पढ़ाई की है। 

विषय को समझे बिना पढ़ने से उसमें रुचि नहीं जागती है अपनी रुचि जिसमें हो उसी क्षेत्र में पढ़ाई करें। माता-पिता का बच्चों को कोचिंग भेजने से ज्यादा महत्वपूर्ण उसे उसी विषय में रुचि जगे जिसमें रुचि हो उसे उसी विषय में पढ़ना चाहिए। प्रायोगिक परीक्षा की तैयारी करते समय थ्योरी को प्रैक्टिकल की तरह और प्रैक्टिकल को थ्योरी की तरह पढ़ना चाहिए। भारत में हर वर्ष चौदह लाख बच्चे आई ऐ एस की परीक्षा दे देते हैं पर मात्र सात सौ सफल होते हैं। मेरा मानना है कि कलेक्टर की नौकरी एक बहुत ही आदर्श नौकरी है इसे जरूर प्राप्त करने की कोशिश जैन समाज के बच्चों को करना चाहिए। आपके बिना दुनिया डूबने वाली नहीं है पर आपके हाथ में आया समय निकल गया तो वह वापस आने वाला नहीं है। इस बात को हमेशा ध्यान में रखें।

हर कोई साधु नहीं बन सकता है। पर गृहस्थ में रहते हुए साधु की तरह प्रमाणित जीवन तो जीया ही जा सकता है। अच्छा इंसान बनकर समाज का काम कर सकते हैं। 

दो मुखौटा वाला जीवन हमेशा दिक्कत देता है। धर्म क्रिया भले कम करें पर माता-पिता की सेवा में कभी भी कमी ना रहने दे। मैं अपने माता-पिता के साथ ही रहता हूं। मेरी नेम प्लेट पर सिर्फ कोचर हि लिखवाता हूं यह उनको मेरे द्वारा दिया गया सम्मान है। 

जीवन में न्याय नीति ईमानदारी है तो वर्तमान जीवन और आगे के जीवन में भी सफलता प्राप्त होगी। मेरे आज के वक्तव्य से एक भी जीव अगर सफल हो गया तो मेरा यहां आना सार्थक हो जाएगा। जैन कुल में जन्म लेना सौभाग्य है। अंत में श्री कोचर ने बच्चों से कहा मेरे पास आपके विकास और उन्नति के लिए समय ही समय है। आप चाहे जिस वक्त मुझे व्हाट्सएप पर चर्चा कर सकते हैं



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