डेथ नक्की है लेकिन डेट नक्की नही है, चन्द दिनों की जिंदगी मिली है तो उसे सुधार लो


मन की माने वो मानी और जो आत्मा की माने वो ज्ञानी

परम् पूज्य श्री गुलाबमुनिजी म. सा. 

अनन्त पुण्यवानी के उदय से जीव को मनुष्य योनि मिली और अकाम निर्जरा के कारण उसे थोड़ी विशेषता (धनबल, शरीरबल बुद्धिबल, सत्ताबल) भी प्राप्त हो गयी लेकिन मन संकुचित बन गया। पांच से छह फीट के शरीर के लिए जीव मकान कितना बड़ा बनाता है जितना अधिक उसके पास विटामिन M (धन) है। 
छोटे से शरीर के लिए इतना बड़ा मकान और जो आत्मा इतनी विराट है कि वह 14 राजू लोक तक फैल सकती है उस विशाल आत्मा को स्वार्थ के वशीभूत में होकर जीव ने उसे मन के भीतर केंद्रित कर दिया है। 
गुरूदेव ने फरमाया की जो मन की माने वो मानी और जो आत्मा की माने वो ज्ञानी। मन दुसरो के प्रति तिरस्कार, कलंक, अपमान, बदनाम, बुराई, दुर्भाव क्या क्या नही करता, आज जो सप्लाय कर रहे हो वो कल तुमको रिप्लाय के रूप में मिलेगा। फिर जीव पर दुख आता है और कोसता भगवान को है कि हे भगवान तूने ये क्या कर दिया ! अरे भगवान ने कुछ नही किया तेरे लक्खण सुधार ले। अपना बुरा किया हुआ सब भगवान के माथे मत डाल, ये तेरे कर्मो का दोष है। जैसे सुई के छोटे से छिद्र में बड़ा धागा नही जायेगा ऐसे ही विराट आत्मा को जीव ने मन मे संकुचित कर दिया है और संकुचित मन अपनी आत्मा के अंदर उन जीवो को प्रवेश करने नही देता जो उसके प्रतिकूल ( पापी और दुराचारी ) है, यही तो मोक्ष मार्ग का बाधक है। 
जीव मन से कर्म बांध लेता है आये दिन हर किसी भी वस्तु, व्यक्ति व परिस्थिती के लिए अपना अभिमत देता रहता है। अरे भाई उसने पाप किया तो वो भुगतेगा तू क्यो गलत विचार कर नए टेंडर भर रहा है। किसी के प्रति भी अपने बुरे विचार को स्थायी मत करो,, पुदगल का स्वभाव है सड़न, पीड़न, गलन यानी जो आज अच्छी है वह कल खराब हो जाएगी और किसी कारण वश कोई आज बुरा लग या दिख रहा है लेकिन भविष्य में वो ही अच्छा भी लगने लग जाता है। सभी से प्रेम व वात्सल्य पूर्वक व्यवहार रखना चाहिए क्योकि आज किसी को तिरस्कार या अपमानित करोगे तो अगले भव मे ब्याज सहित तुम्हे भी तिरस्कृत और अपमानित होना पड़ेगा।
 
डेथ नक्की है लेकिन डेट नक्की नही है। चन्द दिनों की जिंदगी मिली है तो उसे सुधार लो। जीव को मात्र मनुष्य भव में ही सुधरने का मौका मिलता है। 
563 भेद मे से मात्र 15 कर्म भूमि मनुष्यों को अपने लक्खण सुधारने का मौका मिलता है और ये दुर्लभ अवसर आपको मिला है तो सुधार कर लो, और यहाँ भी नही सुधरे तो भव भ्रमण खत्म होने वाला नही है। मन की मान कर जीव मानी बनकर अज्ञानी बनता है फिर कहता है कि मैं दुखी हो गया। 
पूज्य गुरुदेव ने गत चार दिनों से चल रहे टेंशन के विषय को आगे बढ़ाते हुए कहा कि टेंशन में व्यक्ति को सामने पड़ी गई वस्तु भी दिखती नही है और दूसरा उसको बोलता है कि अरे अंधे ये सामने तो पड़ी है दिखता नही है क्या ?? अरे भाई उसे सामने पड़ी वस्तु नही दिख रही यानी वो टेंशन में है और ऐसा बोलकर उसके घाव पर नमक छिटक रहे हो। सामने वाले को समझो उससे प्यार व स्नेह से बोलो की भाई ये यहाँ रखी है। प्यार से बोलने से तुम्हारा तो कुछ नही बिगडेगा सामने वाले का तनाव जरूर थोड़ा कम हो जाएगा। 
तनाव में रहने वाले व्यक्ति का आज चौथा लक्षण बताया कि उस व्यक्ति को मनोज्ञ (मनपसंद) वस्तु में भी मन नही लगता है। 
तनाव में रहने वाले व्यक्ति को आप मनपसंद जगह पर घुमा लाओ, उसे मनपसंद खाना खिला दो, मनपसंद लोगो से बात करवा दो लेकिन उसका मन कही भी नही लगता है। जो व्यक्ति तनाव में रहता है उसमें मान संज्ञा अधिक होती है। 
टेंशन, तनाव, चिंता, डिप्रेशन वाले व्यक्ति को कोई दवा या डॉक्टर या बाबा-बाबी या मन्त्र- तन्त्र ठीक नही कर सकते उसे सिर्फ प्यार व स्नेह से कम किया जा सकता है। प्यार स्नेह मिलता है तब उसे लगता है कि हा यह मेरा अपना है जिसे अपने मन की बात कह सकता हु और धीरे धीरे मन का बोझ हल्का कर डिप्रेशन दूर हो जाता है। किसी को दुखी देखकर संवेदना आती हो, गलती पर खेद प्रकट करते हो तो समझना आत्मा भवी हो गयी है और शीघ्र ही मोक्ष लक्ष्य को प्राप्त कर लेगी।
उक्त प्रवचन प्रखर वक्ता, प्रवचन प्रभावक, संयम सुमेरु, जन-जन की आस्था के केंद्र  परम् पूज्य गुरुदेव श्री गुलाब मुनि जी महाराज साहब के करही के सफलतम चातुर्मास 2022 के प्रवचनों से साभार
करही, 19 अगस्त 22 
संकलंकर्ता:-
✍🏻विशाल बागमार - 9993048551
डा. निधि जैन - 9425373110

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