तत्वज्ञश्री धर्मेंद्रमुनिजी म.सा. का शनिवार को हुआ मंगल प्रवेश

गगनभेदी जयकारों के साथ थांदला गौरव तत्वज्ञश्री धर्मेंद्रमुनिजी म.सा. का शनिवार को हुआ मंगल प्रवेश

विहार के दौरान मुनिश्री ने जगह जगह मांगलिक श्रवण करवाई

थांदला. आचार्यश्री उमेशमुनिजी के सुशिष्य प्रवर्तकश्री जिनेंद्रमुनिजी के आज्ञानुवर्ती तत्वज्ञश्री धर्मेंद्रमुनिजी, प्रशस्तमुनिजी, प्रसन्नमुनिजी ठाणा 3 का शनिवार को थांदला नगर में मंगल प्रवेश हुआ। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के अध्यक्ष भरत भंसाली व सचिव प्रदीप गादिया ने बताया कि मुनि मंडल का अंकलेश्वर, बड़ौदा, गोधरा, लीमखेड़ा, दाहोद, रंभापुर, मेघनगर आदि क्षेत्रों में धर्म प्रभावना करने के पश्चात 15 किमी. का उग्र विहार कर यहां आगमन हुआ। मुनि मण्डल के प्रवेश के पूर्व साध्वी निखिलशीलाजी, व दीप्तिजी का मेघनगर से थांदला मे मंगल प्रवेश हुआ। संत मंडल की अगवानी हेतु यहाँ विराजित प्रवर्तकश्री जिनेंद्रमुनिजी की आज्ञानुवर्ती साध्वीश्री निखिलशीलाजी, दिव्यशिलाजी, प्रियशीलाजी, दीप्तिजी ठाणा 4 व बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएँ व बच्चें मेघनगर रोड़ पर दूर दूर तक पैदल पहुँच गए थे। 

• जयकारों से गगन गुंजायमान हो गया                                 मंगल प्रवेश यात्रा के दौरान श्रावक-श्राविकाएँ व बच्चें श्रमण भगवान महावीर स्वामी, आचार्यश्री उमेशमुनिजी, प्रवर्तकश्री जिनेंद्रमुनिजी, तत्वज्ञश्री धर्मेंद्रमुनिजी व संत सती मंडल की जय जयकार और गुरु गुणगान करते हुए चल रहे थे। इस दौरान मानो ऐसा प्रतीत हो रहा था कि गगन गुंजायमान हो गया। मंगल प्रवेश यात्रा के दौरान तत्वज्ञश्री धर्मेंद्रमुनिजी ने जगह जगह मांगलिक श्रवण करवाई। प्रवेश यात्रा शासकीय महाविद्यालय, डाक बंगला, दशहरा मैदान, नगर परिषद, पुलिस थाना, अस्पताल चौराहा, मठवाला कुआं, जवाहर मार्ग होती हुई दौलत भवन स्थानक पर पहुँची। यहाँ मुनि मंडल को साध्वी वृंद ने वंदना कर तथा श्रावक - श्राविकाओं व बच्चों ने मुनि मंडल व साध्वी मंडल को सामूहिक वंदना कर विहार की सुखसाता पूछी एवं तत्वज्ञश्री धर्मेंद्रमुनिजी के मुखारविंद से मांगलिक श्रवण की। तत्वज्ञश्रीजी ने श्रावक श्राविकाओं को धर्म आराधना करने की विशेष प्रेरणा दी। मुनि मंडल व साध्वी मंडल के सानिध्य में यहाँ प्रातः राई प्रतिक्रमण, प्रार्थना, व्याख्यान प्रात: 9 से 10 बजे तक, दोपहर में वाचनी, ज्ञानचर्चा, शाम को देवसीय प्रतिक्रमण आदि विविध आराधनाएं होगी।  

• एक ही परिवार से पाँच आत्माएँ जिनशासन में सेवारत       श्री ललित जैन नवयुवक मंडल के अध्यक्ष रवि लोढ़ा ने बताया कि किसी भी परिवार से दीक्षा होना अत्यंत ही विरली बात हैं और वहीं जिस परिवार से 5 - 5 दीक्षाएं हो जाए तो वह परिवार कितना समर्पित एवं भाग्यशाली होगा। यह सहज अंदाजा लगाया जा सकता हैं। वैसे तो यहां से आचार्यश्री जवाहरलालजी एवं जिनशासन गौरव श्रमण श्रेष्ठ आचार्यश्री उमेशमुनिजी सहित कई आत्माएं दीक्षित हुई और इनके नाम नगर के इतिहास के पन्नों पर स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हैं जो महापुरुषों की श्रेणी में हैं। वहीं जिन तीन संतों का नगर में प्रवेश हुआ हैं। उसमें से दो संत धर्मेंद्रमुनिजी, प्रशस्तमुनिजी थांदला के रुनवाल परिवार से हैं। इनके सहित रुनवाल परिवार से अब तक पाँच आत्माएँ दीक्षित हुई हैं। इनमें तत्वज्ञश्री धर्मेंद्रमुनिजी, संदीपमुनिजी व सुयशमुनिजी (ये तीनों सांसारिक सगे भाई) वहीं प्रशस्तमुनिजी व इनकी सांसारिक माता साध्वीश्री नित्यप्रभाजी (सुयशमुनिजी की सांसारिक धर्म सहायिका) हैं। इस तरह एक ही परिवार से पाँच आत्माएँ जिनशासन की सेवा के लिए समर्पित होकर धर्म प्रभावना कर रहे हैं। इनके नाम भी थांदला नगर के इतिहास के पन्ने पर स्वर्णिम अक्षरों से अंकित हैं।



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