चुनावी राजनीतिक हलचल.....
भाजपा कार्यालय शुभारंभ पर जनपद अध्यक्ष और अन्य नेताओं ने बनाई दूरी
क्या भाजपा में भी उठ सकते है विरोध के स्वर?भाजपा के इस नेता के चुनावी मैदान में उतरने की चर्चा जोरों पर.....
पेटलावद से जितेश विश्वकर्मा / ओपी मालवीय की रिपोर्ट
राजनीतिक गलियारों में
चुनावी मौसम हो और नेता अपना भाग्य आजमाने से पीछे रहे सम्भव ही नही है, चाहे पार्टी के साथ रहकर चुनाव लड़ना पड़े या पार्टी से विरोध - बगावत करके। वर्तमान में पेटलावद के राजनीतिक गलियारों में भी कुछ ऐसा ही चल रहा है। विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने अपने-अपने उम्मीदवारों की सूची जारी करते हुए चुनावी मैदान में उतार दिया है, लेकिन उन उम्मीदवारो की राह इतनी आसान नही है जितना पार्टियों ने उन पर विश्वास करके टिकिट दिया है। कांग्रेस में विरोध के स्वर साफ दिखाई दे रहे है तो वही भाजपा में भी अंदरूनी कलह खुलकर सामने आने लगी है, क्योकि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के अलावा जनप्रतिनिधियों ने जो दूरी भाजपा कार्यालय के शुभारंभ पर बनाई उससे साफ जाहिर होता है कि विधानसभा जैसे बड़े चुनाव में अपनी पार्टी से दूरी बनाना भाजपा के लिए सही संकेत नही है। पेटलावद में भाजपा प्रत्याशी सुश्री निर्मला भूरिया के द्वारा कार्यालय का शुभारंभ किया गया, इस दौरान भाजपा के ही जनपद अध्यक्ष रमेश सोलंकी सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने दूरी बनाई। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भाजपा प्रत्याशी भूरिया की राह इतनी आसान नही है और भाजपा की और से भी विरोधी स्वर उठ सकते है व एक नया चेहरा भाजपा से बगावत कर विधानसभा चुनाव में सामने आ सकता है। चौराहे पर चर्चाओं का बाजार गर्म है कि जनपद अध्यक्ष रमेश सोलंकी क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ के चलते चुनावी मैदान में ताल ठोक सकते है। हालांकि पूरी तरह से तस्वीर साफ नही है कि जनपद अध्यक्ष चुनाव मैदान में उतर रहे है लेकिन जिस तरह से उन्होंने शुरुआती समय और कार्यालय के शुभारंभ अवसर पर पार्टी से दूरी बनाई है इससे यही कहा जा सकता है कि भाजपा प्रत्याशी निर्मला दिदी की राह आसान नही है। जनपद अध्यक्ष रमेश सोलंकी स्थानीय चेहरा होने के कारण क्षेत्र में अपनी अच्छी खासी पकड़ रखते है और इसी वजह से वे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतर सकते है।
कांग्रेस में पहले से ही विरोध है
इसी तरह बात कांग्रेस की करे तो विधायक वालसिंह मेडा को आलाकमान ने अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया है, लेकिन जिला पंचायत उपाध्यक्ष अकमलसिंह मालू निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में उनके सामने उतरने का मन बना चुके है। कांग्रेस के दो खेमो में टिकिट को लेकर भारी असंतोष देखा गया था, और टिकिट की स्थिति साफ होने के बाद वालसिंह मेडा के खिलाफ विरोधी स्वर ओर तेज हो गए है। वही राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेताओं के मान मनोवर के बाद शायद स्थिति में बदलाव आ सकता है। हालांकि यह चुनाव है आखरी समय मे नामांकन पत्र जमा करने और नाम वापसी के बाद ही चुनाव मैदान की स्थिति स्पष्ट हो पाएगी की कौन-कौन मैदान में है। वही सामाजिक संगठन जयस का उम्मीदवार भी घोषित हो चुका है। कुल मिलाकर इस बार का चुनाव बहुत ही रोमांचित होने वाला है।


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