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वाणी, विचार और व्यवहार जिसका अच्छा है वो स्वयं भी खुश रहता है और दूसरों को भी खुश रखता है -
परम् पूज्य श्री गुलाबमुनिजी म.सा.
दुःख जीवन में बाहर से नही आता है बल्कि वस्तु, व्यक्ति या परिस्थिती जन्य कैसा भी दुख आया वो स्वयं के कर्मो के कारण ही आता है और जीव ये बात समझ ले तो उसका दुख भी सुख में बदल जाता है।
गुरूदेव ने फरमाया की व्यक्ति सोचता कि ऐसा नही तो ऐसा हो जाता है अरे तेरे सोचने से कुछ नही होता, जैसा कर्म करके आया है वैसा तुझे भुगतना ही पड़ेगा। खोटे विचार करके कोई किसी के कर्म नही बदल सकता दुनिया भर की चिंता करके स्वयं दुखी हो जाता है।
हे आत्माराम तू दुनिया की फिकर करना छोड़ दे और स्वयं की फिकर कर तो अशुभ कर्मो से भी बचेगा और शांति भी मिलेगी।
व्यक्ति हमेशा मांगीलाल बना रहता है जहाँ उसे मान, सम्मान, प्रतिष्ठा, सत्कार मिलने वाला हो वहाँ तो 2 से 3 घण्टे बैठे रहेंगे और 1 सामायिक का किसी को बोलो तो बोलते है हमारे से बैठाता नही। पाप के काम में मन लगता है और धर्म मे मन नही लगता तो फिर दुख कैसे दूर होंगे। दिन रात कमाने में लगे हो, क्या करोगे इकठ्ठा करके, जीवन मे खुश होना है तो खुशियां बाटते रहो।
खुशियां बटोरते बटोरते जिंदगी निकल गयी, खुश नही हुआ लेकिन खुश वो नजर आया जो खुशियां बाट रहा था।
ईर्ष्या और द्वेष के वशीभूत में आज यदि किसी को गिराओगे तो तुम्हे भी अंडर ग्राउंड जाना पड़ेगा। जो बोया वो पाया है फिर क्यो रोया है। जो आग में हाथ डालेगा उसी का हाथ जलेगा दूसरे का नही ऐसे ही खुद खोटे कर्म करोगे तो भुगतना भी तुम्हे ही पड़ेंगे ।
वाणी, विचार और व्यवहार जिसका अच्छा है वो स्वयं भी खुश रहता है और दूसरों को भी खुश रखता है तो ऐसे ही प्राणी आगे चलकर उत्कृष्ट धर्म को प्राप्त कर सकते है और ऐसे ही व्यक्ति इस भव में और अगले भव में महान बन सकते है।
धर्म के सन्मुख जाने से और सत्संग करने से वाणी विचार व व्यवहार में निश्चित ही परिवर्तन आता है।
लेकिन इसके लिए आपको जाना पड़ेगा, पुरुषार्थ करना पड़ेगा जैसे प्यास लगने पर व्यक्ति नदी पर जाता है नदी व्यक्ति के पास नही आती । जिनवाणी, धर्म और गुरु पर अटूट श्रद्धा हो तो जीव का भव सुधर जाता है।
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उक्त प्रवचन प्रखर वक्ता, प्रवचन प्रभावक, संयम सुमेरु, जन-जन की आस्था के केंद्र परम् पूज्य गुरुदेव श्री गुलाब मुनि जी महाराज साहब के करही के सफलतम चातुर्मास 2022 के प्रवचनों से साभार
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