किसी के स्वभाव को समझ लो तो किसी से शिकायत ही नही रहेगी


दर्पण में मुँह दिखता है पर होता नही है ऐसे ही संसार मे सुख दिखता है पर होता नही है, इसी समझ के आभाव में जीव भटक रहा है।
परम् पूज्य श्री गुलाबमुनिजी म.सा.

इंसान समझदार कब कहलाता है ? बड़ी बड़ी बाते करने वाला इंसान समझदार है या छोटी छोटी बाते समझने वाला इंसान समझदार है। जो छोटी बाते ही नही समझ सके तो वो कैसे समझदार। 
 
गुरुदेव ने फरमाया की समझदार में ये तीन गुण होना आवश्यक है- 
1- सामने वाले के दुखों को समझने की क्षमता हो,, 
2 - उनके स्वभाव को समझने की क्षमता हो,, 
3 -उनके सुखों को समझने की क्षमता हो। 
यदि व्यक्ति ये तीन बातें समझ ले तो वो अनेक जीवो का मार्गदर्शक बन जायेगा। व्यक्ति कई प्रकार के सपने सँजोता है मेरा कैसा नाम हो, पद हो, प्रतिष्ठा हो, यश हो और इसके लिए ज्योतिषी, बाबा -बाबियो, तांत्रिक- मांत्रिक के पास दौड़ता है, अरे भाई इन कर्मो को स्वयं भगवान भी बदल नही पाए तो ये बाबा बाबियो की तो ताकत ही क्या है। 

सपना यदि स्वयं का है तो पुरुषार्थ भी स्वयं को ही करना होगा। 
पूण्य जाग्रत करना है तो कर्मो को बदलो, सामने वाले के दुख को समझो। कोई अपशब्द बोले या ऊँचा नीचा बोल रहा है तो उसका बुरा मत मानो वरना खुद का भी टेंडर भर जाएगा। बुखार आने पर बुखार पर गुस्सा होने की बजाय गोली लेते हो ताकि बीमारी दूर हो जाये ऐसे ही कोई तुम्हे सुनाए या अपशब्द बोले तो उस पर गुस्सा मत होना बल्कि खुद धैर्य रखकर समझना की जरूर मैने ही पूर्व भव में ऐसे कर्म किये होंगे जो मुझे आज सुनने को मिल रहा है किसी को दोष नही देना ही समझदारी है और यही गोली है जो तुम्हे भव बंधन से मुक्त करेगी।
 
नाखून बढ़ने पर नाखून काटते हो या उंगली और अपनों से अनबन होने पर रिश्तों को काटते हो या गलतफहमी। 
सरकार तुम्हे उनकी जमीन लीज़ पर देती है ताकि तुम अच्छी फेक्टरी उद्योग लगाओ, यदि उस पर गलत काम (शराब फेक्टरी) लगाई तो सरकार लीज़ निरस्त कर देती है जमीन वापस ले लेती है ऐसे ही कर्म सत्ता ने यदि तुम्हे जुबान दी है तो अच्छा बोलो, सदवचन बोलो, किसी के भले के लिए बोलो ऐसा मत बोलो की तुम्हारे बोल से कोई दुखी हो क्योकि तुम भी जुबान का गलत उपयोग करोगे कर्मसत्ता अगले भव में जुबान वापस लेने में देर नही करेगी। 

दर्पण में मुह दिखता है पर होता नही है ऐसे ही संसार मे सुख दिखता है पर होता नही है, इसी समझ के आभाव में जीव भटक रहा है। 
हम दूसरों का स्वभाव बदलना चाहते है, उसने ऐसा नही वैसा करना चाहिए अरे तुम्हे किसने न्यायधीश बनाया भाई, व्यक्ति हमेशा सामने वाले के स्वभाव को ही बदलने की उम्मीद करता है, लेकिन स्वयं नही बदलता, खुद का स्वभाव बदल लें जीवन मे शांति व समाधि दोनो मिल जाएगी। 
यदि कोई अपना स्वभाव नही बदल पा रहा है तो खुद का स्वभाव बदल लो जीवन मे हमेशा का घर्षण ही समाप्त हो जाएगा।
स्वयं के बच्चे का एक्सीडेंट हो जाये और उसके दोनों पैर सदा के लिए चले जाये तो क्या उसे अनाथ आश्रम छोड़ दोगे ? नही न, उसके उसी स्वभाव को एडजस्ट करते हो ना। 

स्वजन किसे कहते है, जो सगे संबंधी है उन्हें, नही जिसका वजन न लगे वह स्वजन होता है।
घर के बड़े बुजुर्गो के वचन जो सहज में निकलते है वह उल्लघन करने योग्य नही है । बुजुर्गों की सेवा करते 30 वर्ष हो जाये फिर भी मन मे प्रसन्नता रहे, सलवट नही आये तो वह स्वजन है। 

किसी के स्वभाव को समझ लो तो किसी से शिकायत ही नही रहेगी। 
व्यक्ति को अपने जीवन मे शांति, समाधी चाहिए तो उसे पहले अपने लक्खण, स्वभाव को सुधारना होगा तभी भव सुधरेगा।

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उक्त प्रवचन प्रखर वक्ता, प्रवचन प्रभावक, संयम सुमेरु, जन-जन की आस्था के केंद्र  परम् पूज्य गुरुदेव श्री गुलाब मुनि जी महाराज साहब के करही के सफलतम चातुर्मास 2022 के प्रवचनों से साभार
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संकलंकर्ता:-
✍🏻विशाल बागमार - 9993048551
डा. निधि जैन - 9425373110

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