3 June वरणगांव
सारा संसार स्वार्थ की धूरी पर घूम रहा है। जहां स्वार्थ की पूर्ति होती है तो सब अपने होते हैं जहां स्वार्थ में कटौती हुई तो तू कौन मैं कौन
उक्त प्रवचन शासन प्रभावक, प्रखर वक्ता जन-जन की आस्था के केंद्र परम् पूज्य गुरुदेव श्री गुलाब मुनि जी महाराज साहब ने धर्मसभा में फरमाया
प्रभु महावीर ने निस्वार्थ निष्काम बुद्धि से भव्य जीवो के कल्याण के लिए मोक्ष का मार्ग बताया है। भगवान ने अपना बनाने के लिए नहीं बल्कि अपने जैसा बनाने के लिए उपदेश दिया है।
सारा संसार स्वार्थ की धूरी पर घूम रहा है। जहां स्वार्थ की पूर्ति होती है तो सब अपने होते हैं जहां स्वार्थ में कटौती हुई तो तू कौन मैं कौन। संसार माया जाल है अंदर से फटे हाल है जो समझे वही हाल है।
निहाल होना है तो सावधान हो जाओ। निहाल होने के लिए एकमात्र तत्व है धर्म। इसके अलावा संसार से मुक्त होने का कोई दूसरा उपाय नहीं है।
गुरुदेव फरमाते है, मेरा स्वयं का 47 साल का अनुभव।
संसार में कोई सुखी नहीं। झोपड़ी से लेकर महल तक कोई न कोई किसी ना किसी दुख से ग्रसित है। पापानुबंधी पुण्य का उदय। साधन सामग्री भरपूर है लेकिन शांति नहीं। उपर से अप टू डेट दिखते हैं लेकिन अंदर से अपसेट रहते है।
शालीभद्र के पास श्रेणिक राजा से अधिक संपत्ति थी। पूर्व भव में निस्वार्थ भाव से अपनी प्रिय वस्तु का एक झटके में त्याग कर दिया। जब त्यागी तपस्वी संयमी ब्रह्मचारी आत्मा का घर में पदार्पण होने पर दान देने से पहले, देते समय, देने के बाद उत्कृष्ट अहो भाव आते हैं आत्म कल्याण होने में देर नहीं लगती। निश्चिंता, निर्भीकता, प्रसन्नता बड़ी तो समझना धर्म ने ह्रदय में प्रवेश कर लिया।
संसार की कोई भी शक्ति पुण्योदय तक ही काम आएगी। ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती 25000 देवता जिनकी सेवा में, गजबल अश्व बल सैन्य बल चतुरंगीनी सेना कोई नहीं बचा सका। एक 8- 10 साल के बालक ने गुलेल से उनकी दोनों आंखें फोड़ दी। शारीरिक बल आर्थिक बल बुद्धि का बल सत्ता का बल यह चारों बल के साथ यदि धर्म बल नहीं तो जीव को पतन के गर्त में डाल देंगे।
सारे बल पुण्योदय तक ही काम आते हैं। अहम पहाड़ जैसा होता है जितना ऊपर जाता है उतना छोटा होता जाता है। ज्ञानियों की दृष्टि में उसकी कोई कीमत नहीं। आपके पास क्या है कितना है वह मायने नहीं रखता।
आप किसी के कितने काम आए वह महत्वपूर्ण है। संसार के माया जाल से बचने का एकमात्र उपाय धर्म है। टूटे हुए दो दिलों को जोड़ दे वह धर्म है। तेरे मेरे का ढिंढोरा पीटना डुब्बाणं डाबयाणं के धंधे हैं।
सर्दी हो या धूप सबसे बड़ी चुप।
जीवन भर अर्जन किया, सर्जन किया लेकिन अंत समय में अपने बाप के घर में भी जगह नहीं मिलेगी सब गेट आउट कर देंगे। यह संसार का कटु सत्य है। यदि अहम से बचना हो तो इस कटु सत्य को हमेशा याद रखें।
जिन आज्ञा विरुद्ध कुछ लिखने में आया हो तो मिच्छामि दुक्कड़म 🙏
संकलंकर्ता:-
दीपा नितिन जैन खिरकिया
डा. निधि जैन - 9425373110


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