हम जो रोज कर्म बंध करते हैं उनको हाथ के हाथ यदि हमने प्रतिक्रमण कर लिया तो वही नष्ट हो सकते हैं

 प्रवचन, 2/5/23 


भगवान महावीर ने अपने अनुभव से सदा सावधान रहने को कहा 

उक्त बात प्रवचन प्रभावक, प्रखर वक्ता, तपस्वीराज परम् पूज्य गुरुदेव श्री गुलाब मुनि जी महाराज साहब ने आनंद भवन बुरहानपुर  धर्मसभा में फरमाया कि 

भगवान महावीर ने अपने अनुभव से सदा सावधान रहने को कहा है।  मनुष्य तू सदा सावधान रह और नए-नए कर्म के बंध से बचने का प्रयास कर। क्योंकि अशुभ कर्म जब उदय में आते हैं तो अच्छे अच्छे  की दाल पतली हो जाती है। 

जब अशुभ कर्म  उदय में आते है तो जीव तंत्र मंत्र डोरे धागे बाबा - बाबियों के चक्कर में फंसता चला जाता है। किंतु उदय में आए हुए कर्मों को बदलने की ताकत किसी में भी नहीं है। कर्म जब तक उदय में नहीं आए तभी तक आप उन्हें नष्ट कर सकते हैं और उनके फल को भोगने से बच सकते हैं। 

वर्तमान में  कई लोग दुख को दूर करने का दावा करते हैं, तो कोई मन की बात को जान लेने का दावा करता है, तो कोई भविष्यवाणी करने का दावा करता है। 8 नवंबर 2016 को रात 8:30 बजे मोदी जी नोट बदलने वाले हैं यह भविष्यवाणी किसी भी बाबा - बाबी, तांत्रिक- मंत्रिक, मन की बात जानने वालों ने नहीं की थी। अरे ! वें क्या भविष्यवाणी करते ऐसे कई लोग फंस गए और उनके करोड़ों रुपए कागज बन गए।   

अशुभ कर्म उदय में आवें इससे बचने के केवल 2 उपाय है - पहला प्रतिक्रमण दूसरा तप और नहीं तो भोगने के लिए तैयार रहें। जो कर्म किए हैं यदि उनकी निर्जरा नहीं की तो उसे भोगना निश्चित है। उससे हमें कोई नहीं बचा सकता। हम जो रोज कर्म बंध करते हैं उनको हाथ के हाथ यदि हमने प्रतिक्रमण कर लिया तो वही नष्ट हो सकते हैं। जैसे की आप टू व्हीलर से कहीं जा रहे हैं गाड़ी चलते - चलते यदि थोड़ी स्लिप हो गई और बाजू में चलते हुए किसी व्यक्ति को धक्का लग गया और वह गिर गया तो हम ने गाड़ी रोकी और हाथ जोड़कर उससे माफी मांगी भैया ! यह गलती से हो गया गाड़ी स्लिप हुई। तो सामने वाला व्यक्ति भी कहेगा कि ठीक है कोई बात नहीं। आपके कर्म वहीं के वहीं खत्म हो गए। क्योंकी आपने उनसे माफी मांगी और आपकी नम्रता देखकर आजू -बाजू के लोग भी आपके पक्ष में बोलने लग जाएंगे कि वास्तव में इनकी कोई गलती नहीं है और सामने वाला व्यक्ति भी जो कि आप को मारने पर उतारू हो सकता था वह भी आपको माफ कर देगा। 

नम्रता में इतनी शक्ति है कि वह व्यक्ति आपकी गलती को माफ कर देगा। 

यह पहला उपाय है कि आपने कर्म किये है और वही की वही अपनी गलतियों को स्वीकार कर प्रतिक्रमण प्रायश्चित कर लिया तो उन कर्मों की तभी निर्जरा हो जाएगी। और यदि आपने उसी भाव में उन कर्मों की निर्जरा नहीं की तो वे कर्म रजिस्टर्ड हो जाएंगे और फिर तप के द्वारा उन से छुटकारा मिल सकेगा। 

जैसे आप चाय पी रहे हैं और उसकी  बूंदे आपके सफेद कपड़ो पर गिर गई आपने तुरंत उस पर पानी डाला तो वह वहीं के वहीं और धो लिया तो वह दाग तभी निकल जाएगा यदि आप उसको तुरंत धोना भूल गए या आपने प्रमाद किया और वह  सूख गया तो उसको निकालने के लिए आपको केमिकल का उपयोग करना  पड़ेगा मेहनत करनी पड़ेगी। वैसे ही यदि कर्म थोड़े गाढ़े हो गए उनका तुरंत प्रतिक्रमण प्रायश्चित नहीं किया तो वें तप के द्वारा भी नष्ट किए जा सकते हैं और यदि ऐसा नहीं  किया तो उन कर्मों का फल भोगना पड़ेगा।

जिनाआज्ञा  विरुद्ध कुछ लिखने में आया हो तो मिच्छामि दुक्कड़म 🙏🙏🙏

संकलंकर्ता: - लता जैन बुरहानपुर

डा. निधि जैन - 9425373110



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