साधुमार्गी जैन संघ,ब्यावर
रोम रोम से निकले गुरुवर नाम तुम्हारा हां नाम तुम्हारा, ऐसा दो आशीष की ना लेगें जन्म दुबारा...संगीत मे बहुत ताकत होती है अच्छे अच्छे नाचने लग जाते है. श्री लाघव मुनि जी म. सा.
आचार्य श्री रामेश के शिष्य शासन दीपक श्री लाघव मुनि जी म. सा. ने समता भवन के विशाल प्रांगण में प्रवचन के माध्यम से बताया कि सज्जन और दुर्जन दो तरह के लोग होते है, उन्हें किसमे जीना है योग में , भोग में, या रोग में ?
पूज्य श्री ने सज्जन पुरुष मेघा पुत्र के जीवन का उदाहरण देकर कहा वह सदा भोग विलास मे रहता था उसकी नजर साधु पर पड़ी और पड़ते ही जाति स्मरण का ज्ञान हो जाने के बाद माता पिता से बोल दिया मैने बहुत भोग कर लिया अब मेरा मन सयंम लेने को हो रहा है, क्यों कि भोगो की विशेषता होती वो लोगो को पागल कर देती है।
संगीत मे बहुत बड़ी ताकत होती है अच्छे अच्छे बूढे व्यक्तियों को नचा देता है। व्यक्ति सोचता है सुख सुविधा मिल रही यह पुण्यवाणी हे, लेकिन वह धोका भी हो सकता है। थोड़ा नयापन दिखते ही हम सादगी को छोड़कर उस और चले जाते है। लेकिन नयी चीज हमेशा अच्छी नही होती।
पूज्य श्री ने सज्जनता पर कहा सज्जन व्यक्ति हसांता रहता है और चले जाने पर रुला जाता है।
जिंदगी भर लोगो का भला करने वाले उसकी अर्थी उठने पर पता चलता है कैसा आदमी था। हमारे मन से यही निकलता है कांश भगवान इसकी जगह मेरे को उठा लेते।
साधु की सज्जनता के ऊपर कोई नही हो सकता, क्यों कि इनकी दृष्टी निर्मल होती है। साधु के दर्शन से मन मे चंचलता आती है। उन्होंने भजन के माध्यम से कहा रोम रोम से निकले गुरुवर नाम तुम्हारा हां नाम तुम्हारा, ऐसा दो आशीष कि जन्म न हो दुबारा।
धर्मसभा में श्री यत्नेश मुनि जी म.सा. ने कहा मन मे किसी प्रकार की चंचलता नही होनी चाहिए बड़े बड़े राजा महाराजा अधिकारियो ने चंचलता छोड़ भक्ति करने मे लग गये। सभी प्राणियों की यतना पुर्वक रक्षा करनी चाहिए। ज्ञान, दर्शन, चरित्र की आराधना करने वाला सुखी होता है वही मोक्ष मार्ग का रास्ता चुनता है। व्रत वीर पुरुषो का होता हैं वो ही कर सकते।
संघ सदस्य
नोरतमल बाबेल
मोहनलाल जी बाफना
साधुमार्गी जैन संघ, ब्यावर

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