सिर्फ तीन चीज चाहिए मन वचन और काया की शुभप्रवृत्ति

 प्रवचन, 24 मार्च 2023

मुझे आपसे तेले आदि तपस्या का कोई बड़ा स्कोरबोर्ड नहीं चाहिए सिर्फ तीन चीज चाहिए मन वचन और काया की शुभप्रवृत्ति

 उक्त बात प्रखर वक्ता परम् पूज्य गुरुदेव  श्री गुलाब मुनिजी म.सा. ने खिरकिया के धर्म स्थान में बताते हुए कहा कि जिनेश्वर देव ने कहा बोध को प्राप्त करो बोध दो प्रकार के हैं सम्यक बोध और मिथ्या बोध। सम्यक बोध संसार परिभ्रमण को कम करता है, मिथ्या बोध संसार परिभ्रमण को बढ़ा देता है। स्कूल, कॉलेज, डॉक्टर, वकील, इंजीनियर की जितनी भी लौकिक पढ़ाईया हैं वह सब मिथ्या बोध हैं तो हमें संसार का परिभ्रमण बढ़ाना है या घटाना है ? अपने बच्चों को रोज स्कूल भेजने में कोई पीछे नहीं हटता लेकिन पाठशाला भेजने वाले कितने लोग हैं ? संतान को पैदा करने मात्र से काम नहीं होगा उसमें अच्छे सुसंस्कार देना आवश्यक है। हम अपना संसार परिभ्रमण कैसे कम करें ? कोई बीमार है, काम में अधिक व्यस्त है, कोई धर्म आराधना नहीं कर सकता वह भी तीन काम करके अपना संसार घटा सकता है, पहला मन में बुरे विचार नहीं लाना। दूसरा वचन से बुरे वचन नहीं बोलना। तीसरा काया से बुरी प्रवृत्ति नहीं करें। शिष्यों के संताप को हरण करने वाले तो बहुत गुरु है लेकिन संतान के संताप को हरण करने वाले कितने मां बाप मिलेंगे ? हम गुरु भगवंत आपके लिए आत्मा का डॉक्टर बनकर आए हैं हम जो गोलियां दे रहे हैं उन्हें जीवन में उतार लोगे तो बेड़ा पार हो जाएगा। आज परिवार में आपस में क्यों नहीं पटती क्योंकि पूर्व भव में एक दूसरे की बुराई, चुगली,निंदा, दुर्वचन बोलना, टांट कसना यह सब करके आए हैं तभी ऐसी स्थिति बनती है। वर्तमान में घर में जो प्रतिकूल परिस्थितियां बन रही है उसमें समभाव रखो। प्रतिकूल व्यक्ति के प्रति मन में भी बुरा विचार और बुरा व्यवहार मत लाओ। किसी के लिए भी किसी के बारे में भी मुंह से बुरा फाटक मत खोलो। उस साधु ने ऐसा किया उस साध्वी ने ऐसा किया वह जाने उनका भगवान जाने तू क्यों पेट दुखाता है ? जितना दूसरों के लिए हाथ पैर और मुंह बिगाड़ोगेे आपको भी वैसा ही चेहरा अगले भाव में मिलेगा। सूअर बनकर गधा बन कर कर्मों का चुकारा करना पड़ेगा। ज्ञानी कहते हैं मन वचन काया की शक्ति कर्म सत्ता से लीज पर मिली है। मन से वचन से और काया से दुष्कर्म  हमें डूबाने वाले है। अगर आपको तन बल मिला है तो उसका सदुपयोग करो निश्चित रूप से आपकी ताकत बढ़ेगी। अगर आपको मन बल मिला है तो उसका सदुपयोग करो आपका विल पावर अवश्य बढ़ेगा, अगर आपको वचन बल मिला है तो किसी की बुराई निंदा मत करो आपकी वचन की पावर बढ़ेगी और लोग आपका कहना सुनेंगे। काया की पावर बढ़ानी है, इम्यूनिटी बढ़ानी है तो काया से शुभ प्रवृत्ति करो। 10 घंटे मिट्टी, पत्थर से मशक्कत करोगे परिश्रम करोगे तो उतनी एनर्जी खर्च नहीं होती है जितनी आधा घंटा बड़बड़ करने से होती है। क्योंकि वहां वचन का दुरुपयोग हो रहा है। प्रसन्नता बढ़ेगी तो इम्यूनिटी पावर बढ़ेगी। टेंशन निकालो प्रसन्न मन रखो तो कमजोरी बीमारी हट जाती हैं। अटैक आने के तीन कारण अति हर्ष, अति भय, अति शोक। अति भय के कारण सोमिल ब्राह्मण को चौथे आरे में अटैक आ गया। "डरना हो तो पाप से डरो वरना किसी के बाप से भी डरने की जरूरत नहीं" अति हर्ष से भी अटैक आ जाता है एक भिखारी का एक्सीडेंट हो गया वह हॉस्पिटल में एडमिट था डॉक्टर इलाज कर रहे थे तभी किसी ने आकर डॉक्टर को कहा कि इस भिखारी की एक लाख की लॉटरी लग गई है। डॉक्टर ने कहा इसे एकदम बताएंगे तो ठीक नहीं रहेगा हो सकता है खुशी के मारे उसकी तबीयत ज्यादा खराब हो जाए! अतः में धीरे-धीरे बातों में बता दूंगा। डॉक्टर उससे इधर-उधर की बातें करने लगा पूछा अगर तुम्हारी लॉटरी लग जाए तो तुम क्या करोगे वह भिखारी बोला डॉक्टर साहब आधा आपको दे दूंगा। यह सुनकर डॉक्टर एकदम नीचे गिर पड़ा और उसका ही काम लग गया। शास्त्रों में बताया है हमारी शरीर में 72000 नाड़ियां हैं हर नाड़ी में रक्त  प्रवाह की अपनी अपनी सीमा होती है। दिमाग टेंशन में आ जाए तो दिमाग को खून की आवश्यकता अधिक होती है और खून एकदम पहुंच नहीं पाता है बीच में रुकावट आ जाए तो उस व्यक्ति को अटैक आ जाता है। आपसे कोई पुण्य कर्म सत्कार्य नहीं होता तो कम से कम नए कर्म तो मत बांधों। घर से बाहर कभी दो-तीन दिन के लिए बाहर जाना पड़े तो यतना पूर्वक दरवाजे खिड़की चेक करके लगाएं। कहीं उसमें कोई जीव तो नहीं छिपकली तो नहीं कोई कीड़ा मकोड़ा तो नहीं घर के लैट्रिन बाथरूम में बाल्टीओ  में कहीं पानी तो नहीं भरा पड़ा हो तो उन्हें ढक देवें। कोई भी तरल पदार्थ खुला ना रखें इस प्रकार छोटी छोटी बातों का ध्यान रखें। यह अनर्थ के पाप बंध करवाती है कोई भी अपरिचित व्यक्ति को भी आपने पाप से बचाया तो उसका हो ना हो लेकिन आपका बेड़ा पार जरूर हो जाएगा। दैनिक जीवन में यतना को बढ़ाएंगे तो यहां भी आनंद आगे भी आनंद l

परम्  पूज्य श्री कैलाश मुनि जी महाराज साहब ने फरमाया पच्चखाण  अर्थात मन व इंद्रियों को कंट्रोल करने की लगाम। आज्ञा और अनुज्ञा में क्या फर्क है आज्ञा अर्थात आदेश देना और अनुज्ञा अर्थात अनुमति देना सुबह सुबह साधु साध्वी भगवंत को अनुज्ञा देने से बेले का लाभ मिलता है और अगर समय से लेट पहुंचे तो आज्ञा में शिर मांगना अर्थात जो अनुज्ञा आपने दी उसमें मेरा भी हिस्सा।

 राजा ने यह बात सुनी तो वह भी सुबह-सुबह अनुज्ञा के लिए धर्म स्थानक में पहुंचा साधु भगवंतो ने आज्ञा के पश्चात पच्चखाण के रूप में कहा आज कद्दू नहीं खाना राजा को कद्दू बहुत प्रिय था योगानुयोग उस दिन राजा के रसोइए ने कद्दू की सब्जी बनाई राजा ने वह कटोरी थाली में से हटा दी इतने में रसोईया धुजने लगा घबराने लगा क्योंकि राजा के छोटे भाई ने उसे उस दिन कद्दू की सब्जी में विष मिलाने के लिए पैसे दिए थे राजा को सब्जी हटाते देख मन में विचार आया कि राजा को तो पता चल गया है आज मेरी खेर नहीं वह स्वयं आगे से जाकर राजा से माफी मांगने लगा और सारी सच्चाई राजा को कह दी। राजा ने रसोईया और छोटे भाई को जो उचित दंड देना था दिया लेकिन गुरु भगवंतो को खूब-खूब धन्यवाद दिया कि आज उनकी पच्चखाण की वजह से जान बच गई। श्रावक की तीसरी विशेषता है झुके नहीं अर्थात हर कहीं झुके नहीं सिर्फ दो जगह झुके देव के सामने और गुरु के सामने। देव भी अरिहंत और सिद्ध और गुरु भी आचार्य उपाध्याय और साधु। श्रावक की चौथी विशेषता बताई फुके नहीं अर्थात व्यसन फुके नहीं व्यसनों का त्याग करें।

प्रवचन खिरकिया, 24 मार्च 2023 से लिए गए अंश

संकलनकर्ता🖋️ 

रश्मि श्री श्रीमाल खिरकिया/ 8602205766   

डा. निधि जैन/ 9425373110  

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