खिरकिया
प्रवचन, 23 मार्च 2023जितना वस्तुओं का ज्यादा उपयोग करोगे उतना कर्म बंध अधिक होगा
उक्त बात प्रखर, निर्भय वक्ता पूज्य गुरुदेव श्री गुलाब मुनिजी मा. साहब ने खिरकिया की धर्म सभा में फरमाई बोध को प्राप्त करो, बंधन को जानकर तोड़ दो। संसार के अंदर बंधन के दो कारण हैं पहला राग और दूसरा द्वेष। हमें दुनिया की जानकारी बहुत है और कंप्यूटर में हमसे ज्यादा जानकारी है पर समझदारी नहीं, मानव में दोनों है। जैसे गेहूं के एक दाने में पूरे विश्व को जिमाने की ताकत है वैसे ही 1 मिनट में जीव नरक में भी जा सकता था वही अगले कुछ मिनटों में वह मोक्ष चला गया। मोक्ष जाने में मात्र साढ़े चार मिनिट लगते हैं। थोड़ा सा राग थोड़ा सा द्वेष, बंधन का कारण है। ज्ञानी भगवंत कहते हैं साधन का सदुपयोग करो हम मोबाइल का कितना सदुपयोग करते हैं। सदुपयोग से ज्यादा हम उसमें टाइम पास करते हैं। टाइम सभी के पास है पर उस टाइम का, उस समय का हम धर्म आराधना में उपयोग नहीं करते। सूर्योदय के बाद उठना तन और आत्मा के लिए हानिकारक है सुबह का ब्रह्म मुहूर्त सबसे शुभ और लाभदायक है। ब्रह्म मुहूर्त सूर्योदय के दो मुहूर्त पूर्व होता है अर्थात सूर्य उदय के डेढ़ घंटे और 6 मिनट पहले तक। एक व्यक्ति बोला मुझे आत्म कल्याण करना है किंतु मेरे पास समायिक करने का, प्रतिक्रमण करने का, जिनवाणी सुनने का, धर्म ध्यान करने का तप त्याग करने का समय नहीं है। मैं सुबह 8:00 से शाम को 8:00 बजे तक नौकरी करता हूं और उतना ही कमाता हूं कि अपने परिवार का भरण पोषण कर सकूं। मैं अपना आत्म कल्याण कैसे करूं ? गुरु भगवंत ने बताया- आपको मात्र तीन काम करना है। पहला किसी के प्रति मन में दुर्भाव नहीं करना, दूसरा कैसा है यह नहीं देखना वह जाने उसका भगवान जाने। किसी के प्रति गलत विचार करोगे तो सामने वाले का तो कुछ बिगड़ेगा नही स्वयं अपना ही टेंडर भर जाएगा। सामने वाले ने आपके साथ क्या व्यवहार किया यह महत्वपूर्ण नहीं है, हमने उसके प्रति क्या भाव रखा है यह महत्वपूर्ण है। हर एक जीव के अलग-अलग कर्म है। कब प्रतिकूल व्यक्ति अनुकूल बन जाएगा और कोई अनुकूल व्यक्ति प्रतिकूल बन जाएगा कह नहीं सकते। कोई प्रसंग से बुरे विचार आ भी जाए तो तत्काल शुभ विचारों में मन को लगाओ। प्रयत्न करने से सफलता मिल जाएगी। दूसरा उपाय है वचन से दूर्वचन नहीं बोलना, बुराई नहीं करना, चुगली नहीं करना, आरोप नहीं लगाना, टांट नहीं करना, हल्के शब्द नहीं बोलना, नारद का काम नहीं करना, किसी के बीच काड़ी नहीं लगाना। कोई व्यक्ति बिना कारण आपके पास आकर मीठा बोले तारीफ करें तो सावधान हो जाओ, हो सकता है वह आपको ठगने आया हो। तीसरा उपाय है काया से सद्कार्य करो दुर्व्यवहार मत करो। मुंह नहीं चढ़ाना, याद रखो आपका फेस ऐसा रखो कि सामने वाला फ्रेश हो जाए। साइन बोर्ड अर्थात चेहरा प्रसन्न रखो आधी समस्या ऐसे ही हल हो जाएगी। जितनी भी सुख सुविधाएं मिलती है सभी पुण्य से प्राप्त होती हैं। और जितनी सुख सुविधाओं का उपयोग करेंगे पाप बंध होगा। जितनी वस्तुओं का ज्यादा उपयोग करोगे कर्म बंध अधिक होगा। आज औद्योगिकरण के युग में वस्तुएं प्राप्त करना आसान हो गया है इन वस्तुओं के उत्पादन में जितने जीवो की हिंसा होती है उपयोग करने वाले को उतनी क्रिया लगती है।
पूज्य श्री कैलाश मुनीजी जी महाराज साहब ने फरमाया पच्चखाण अर्थात सतत जागरूकता जैसे पशु के कोई पच्चखाण नहीं होते जहां हरा चारा देखा मुंह मार देता है वैसे ही मनुष्य भी होते हैं जो देखा वह खा लिया बहुत से मनुष्य मन से राक्षस भावना वाले होते हैं वचन से देवता जैसे होते हैं और काया से पशु जैसे। मन से राक्षस जैसे अर्थात क्रूर भावना वाले टीवी देखे पेपर पड़े चोर गुंडों के प्रति दुर्भावना रखे टीवी में तो नकली सीन आ रहे हैं लेकिन उस वक्त यदि हमारा आयुष्य बंध हो गया तो हम असली की नरक में पहुंच जाएंगे। वचन से मीठा बोले चार प्रकार की भाषा हमारा पुण्य बंध करवाती है सत्य भाषा हितकारी भाषा मर्यादा युक्त भाषा और प्रिय मधुर भाषा। एक शब्द बोलने से पुण्य का चौका लगता है वह शब्द है" जय जिनेंद्र" l
संकलनकर्ता🖋️ रश्मि श्रीश्रीमाल खिरकिया 8602205766
डा. निधि जैन

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