इस जीवन मे त्याग को अपनाओगे तो अगले भव में संसार छोड़ना सरल हो जाएगा

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संसार के सारे सम्बन्ध अपेक्षा बुद्धि से होते है और सभी की अपेक्षा कभी भी पूरी हुई नही, होती नही और होने वाली नही-

परम् पूज्य श्री गुलाबमुनिजी म.सा.

भगवान महावीर के जीव को नयसार के भव में  सम्यक बोध हुआ था लेकिन मरीचि के भव में वो भटक गए। शरीर की आशक्ति के कारण सम्यक छूट गया, कर्म के बन्ध ऐसे बांधे की उनका  99 लाख करोड़ सागर का संसार परिभ्रमण बढ़ गया। 

सम्यक बोध (सही समझ) के आभव में ही तो जीव दुखी होता है और भव भ्रमण बढ़ाता है। याद रखो जिस व्यक्ति के साथ जिस अंग से कर्म का बंधन करोगे और प्रायश्चित, प्रतिक्रमण नही किया तो अगले भवो में उसी व्यक्ति के साथ उसी अंग से कर्म भोगना पड़ेंगे।

उक्त विचार प्रकांड पंडित पूज्य गुरुदेव श्री गुलाबमुनिजी म.सा. ने करही के अणु नगर स्थित स्थानक भवन में 21 अगस्त 2022 को व्यक्त किये उनके प्रवचन से लिए गए अंश

गुरुदेव ने फरमाया कि जिस व्यक्ति के साथ अनुकूल ऋणानुबन्ध का बंध करके आये हो तो उसके साथ रहने में आपको आनंद लगेगा और प्रतिकूल ऋणानुबन्ध करके आये हो रोज कट कट और घर्षण होता रहेगा। जब जीव को रहना वही है, भुगतान भी वही करना है तो सहजता व सरलता से स्वीकार कर ले जीवन सुखी हो जाएगा, नए कर्म बन्ध नही होंगे। 
जीव यदि वर्तमान की परिस्थिती को स्वीकार करके उसे सहन कर ले तो अगले भव में दुखी नही होगा। आज संसार के सारे सम्बन्ध अपेक्षा बुद्धि से होते है और सभी की अपेक्षा कभी भी पूरी हुई नही, होती नही और होने वाली नही है। 
अपेक्षा की पूर्ति नही होती है तो उपेक्षा का भाव उत्पन्न हो जाता है क्योकि जहाँ अपेक्षा होगी वहाँ उपेक्षा होगी ही और उपेक्षा हुई तो जीव टेंशन पाल लेता है। उसके दिमाग मे सीरियल चालू हो जाती है कि अरे इसने मेरा ऐसा नही किया,, वैसा नही किया,, इसने मेरी यह बात नही सुनी वह बात नही मानी और जबरन के दिमाग में कचरा इकट्ठा करने लग जाता है। क्योंकि जहाँ स्नेह व प्रेम होता है वहाँ दोष नही दिखता लेकिन जहाँ स्नेह और प्रेम में ओट आई तो दोष दिखने लग जाते है। दोष दिखने से द्वेष आएगा  और द्वेष में जीव फिर से नए कर्मो का बन्ध करेगा और संसार के भव भ्रमण को बढ़ाता रहेगा और हमे यही तो समझना है ताकि हमारे संसार का भृमण खत्म हो सके। अच्छा बताओ तुम नए कपड़े दर्जी से सिलवाने जाते हो तो दर्जी यू ही सील देता है या नाप लेता है। सभाजन बोले नाप देते है। गुरुदेव फरमाते है कि अरे भले आदमी जब पिछले महीने, दो महीने या पिछले साल नही नाप दिया तो अभी फिर से नाप क्यो? सभाजन बोले कि नाप बदल जाता है तब गुरुदेव फरमाते है कि जैसे कपड़े का नाप हर महीने दो महीने या साल में बदल जाता है वैसे ही कर्म का उदय भी बदलता रहता है। 
आप सोचते हो यह इतने दिन मुझसे अच्छा रहा फिर खराब क्यो तो भाई उसके कर्म बदले है तो वो बदला है और यदि वो बदला है तो तू ही एडजेस्ट कर ले और  एडजेस्ट करना नही सीखा तो समय सीखा देगा इससे अच्छा है तूम ही एडजेस्ट हो जाओ तो शांति व समाधि दोनों रहेगी। 
प्रत्येक जीव का क्षयोपक्षम अलग अलग होता है किसी जीव को सरलता से समझ आती है किसी को कई बार समझाने से भी धीरे से आती है तो वहां झल्लाना मत, कर्म बंध मत करना बल्कि यदि तुम उनको बार बार समझाओगे तो तुम्हारा ज्ञानावर्णीय कर्म क्षय होगा तो लाभ तो तुम्हारा ही है। 
यदि धन की तिजोरी के एक ताले की 100 चाबियां तुम्हे दे दी जाए और तुम 5-10-20-50 लगा के थक जाते है नही ना, 99वी भी नही लगे तो बड़ी धैर्यता से 100वी  चाबी लगाते हो। यहाँ धैर्यता रखी न, ऐसे ही जिसके साथ रहते हो उसके साथ भी धैर्य रखो। बार बार घर्षण व टकराव की जगह धैर्य रखो क्योकि शांति और समाधि से जीना है तो एडजेस्ट करना सीखना ही पड़ेगा। 
तनाव, चिंता, टेंशन, शोक से बचना है तो अपने जीवन मे LET GO करना सीखो। मनुष्य जीवन मिला है तो ज्ञान सीखो, तप करो और LET GO करो तो अगले भव में शांति ढूंढना नही पड़ेगी, सामने से चलकर आएगी, क्योकि जैसा बोओगे वैसा पाओगे। पुण्यवानी का उदय होता है तब अनुकूल परिवार व लोग मिलते है और ये कब होता है जब पिछले भव में तुम किसी को सहाय करके, मदद करके आये हो, किसी को जीवनदान देकर आये हो। इस जीवन मे त्याग को अपनाओगे तो अगले भव में संसार छोड़ना सरल हो जाएगा।

उक्त प्रवचन प्रखर वक्ता, प्रवचन प्रभावक, संयम सुमेरु, जन-जन की आस्था के केंद्र  परम् पूज्य गुरुदेव श्री गुलाब मुनि जी महाराज साहब के करही के सफलतम चातुर्मास 2022 के प्रवचनों से साभार
करही, 21 अगस्त 22
संकलंकर्ता:-
✍🏻विशाल बागमार - 9993048551
डा. निधि जैन - 9425373110

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