सम्यक बोध के अभाव में जीव का जन्म रुंदन युक्त, जीवन संक्लेश युक्त और मृत्यु हताशा युक्त होता है -
परम् पूज्य श्री गुलाबमुनिजी म.सा.
जीव ने अनंत जन्म कर लिए हैं किंतु सही समझ के अभाव में जन्म मरण करता जा रहा है। जीवन क्या है?
जीवन एक कपड़ा है ! कपड़ा यदि मैला हो जाता है तो धो लेते हो और फट जाता है तो सील लेते हो यानी जब तक है तब तक साफ सुथरा व अच्छा बना के रखते हो ऐसे ही जीवन में जिसके साथ रहते हो उसके साथ यदि घर्षण या गलतफहमी हो जाये तो उसे भी धो लेना, साफ सुथरा कर लेना यदि सबंध फट गया (टूट गया) तो उसे स्नेह व प्रेम रूपी सुई धागे से सील लेना।
जीवन मे जब तक सम्बन्ध है तब तक उसे साफ सुथरा और अच्छा रखना नही तो दुर्गति में जाने में देर नही लगेगी।
उक्त विचार प्रकांड पंडित पूज्य गुरुदेव श्री गुलाबमुनिजी म.सा. ने करही के अणु नगर स्थित स्थानक भवन में 20 अगस्त 2022 को व्यक्त किये उनके प्रवचन से लिए गए अंश
गुरुदेव ने फरमाया की किसी से अनबन हो गयी, सम्बन्ध टूट गया उसे जोड़ा नही, मन का मेल साफ किया नही तो संसार का चक्र चलता रहेगा। एक भी जीव से यदि द्वेष रह गया तो मोक्ष की प्राप्ति नही हो पाएगी।
सम्यक बोध के आभाव में जीव, जन्म से रुदन युक्त, जीवन मे संकलेश युक्त और मृत्यु में हताशा युक्त रहता है। तनाव, अशांति, असमाधि को समाप्त करना है तो चिंता, तनाव व शोक से दूर रहना।
लोगो की अज्ञानता व सही समझ के आभाव के कारण ही बाबा-बाबियों और तांत्रिक-मांत्रिकों की दुकानदारी चल रही है वरना संसार में ऐसी कोई ताकत, कोई शक्ति नहीं जो किसी दूसरे के कर्म को बदल सके, जीव खुद के लक्खण सुधार कर खुद ही अपने कर्म को बदल सकता है क्योंकि तीर्थंकर भगवान को अनेक दुख व कष्ट आये हजारों देवी देवता उनकी सेवा में रहने के बाद भगवान के कर्म नहीं बदल सके तो दूसरे की तो औकात ही क्या !! पूज्य गुरुदेव ने पिछले पांच दिन से चल रहे विषय को आगे बढ़ाते हुए कहा कि कोई व्यक्ति उदास है, टेंशन में है तो उसका तिरस्कार, अपमान और कटु वचन नहीं बोलना बल्कि उसके साथ स्नेह व प्रेम से व्यवहार करना।
टेंशन में रहने वाले व्यक्ति का पांचवा लक्षण होता है कि उसका कहीं पर मन नही लगता है। काम करना पड़ता है लेकिन मन नहीं होने के कारण काम में गड़बड़ियां करता है क्योकि तनाव में कोई न कोई गलती हो ही जाती है। बिना कारण से आहार और निंद्रा में परिवर्तन हो जाता है। समय पर भोजन करने का मन नही होता और टाइम से नींद नहीं आती फिर डॉक्टरों के चक्कर लगाएगा और कइयों को तो गोलियों से भी नींद नही आती,, कैसे आएगी,, दिमाग मे जो कीड़ा घुसा है वह बाहर निकले बिना नींद भी नहीं आएगी। जैसे मुंह के अंदर नमक की डली है तो मिठाई भी मीठी नही लगती, खारी लगती है वैसे ही टेंशन का कीड़ा दिमाग से बाहर निकले बिना समय से नींद नही लगती है।
वर्तमान में सहनशीलता व धैर्यता का अभाव है जीव हर काम में उतावला रहता है और फटाफट के चक्कर में गड़बड़ करता रहता है। गलती देखने पर जीव जब तक फाटक नहीं खोले उसे शांति नहीं मिलती है और अज्ञानता के कारण यही उसका टेंडर भर जाता है और अंडरग्राउंड की यात्रा करनी पड़ती है।
एक बात हमेशा ध्यान रखना प्रतिकार अपनों का नहीं कर्मो का करना।
संसार का नियम है कि आपने किसी का मान भंग किया तो एक दिन वो भी आपका मान भंग करेगा।
मान लो कीचड़ में आपका पांव चला गया वो गन्दा हो गया तो,,, तो कोई बात नही, गलती हो गयी पांव साफ कर लेना और यदि साफ नही किया तो लोग मूर्ख समझेंगे। ऐसे ही यदि किसी अपनो से गलती हो गयी तो उसे साफ (माफ) कर देना वरना कर्मसत्ता महामूर्ख समझेगी और उसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
भगवान महावीर, सती अंजना, सती सीता अनेक भव्य आत्माओ पर अनेको परिषह और उपसर्ग आये लेकिन उन्होंने कभी प्रतिकार नही किया वो कर्मसत्ता के सामने डटे रहे तो अंत मे कर्म सत्ता को हारना पड़ा। जो जीव कर्म सत्ता के सामने सीना तानकर खड़े हो जाते है उसका कर्मसत्ता कुछ भी बिगाड़ नही पाती और ऐसे विरले लोग मोक्ष प्राप्त करते है लेकिन अधिकांश जीव सरेंडर कर देता है और भव भ्रमण बड़ा लेता है।
टेंशन में रहने वाले जीव का छठा लक्षण बताया कि स्वयं स्वस्थ होते हुए भी हमेशा अपने आप को बीमार समझता है।
तन की बीमारी मशीन से जांच लेते है, कोई सामने बीमारी नही आती पर जिसे मन की बीमारी हो उसे जांच करने की कोई मशीन नही आती। शारीरिक बीमारी तो औषधी से ठीक हो सकती है लेकिन मानसिक बीमारी की कोई औषधि होती नहीं है उसके लिए तो सिर्फ प्रेम, स्नेह व प्यार से ही ठीक किया जा सकता है। जीव छोटी छोटी बात में अत्यधिक तनाव बड़ा लेता है जबकि उसे एक मिनिट में बात करके खत्म किया जा सकता है लेकिन जीव का मान उसे करने नही देता। इसलिए धर्म को समझ कर जो जीव उसे आचरण में उतारने का प्रयास करेंगे तो यहां भी आनंद और वहां भी आनंद।
उक्त प्रवचन प्रखर वक्ता, प्रवचन प्रभावक, संयम सुमेरु, जन-जन की आस्था के केंद्र परम् पूज्य गुरुदेव श्री गुलाब मुनि जी महाराज साहब के करही के सफलतम चातुर्मास 2022 के प्रवचनों से साभार
करही, 20 अगस्त 22


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