सफलतम शिव महापुराण कथा के बाद नम आंखो से गुरूदेव को दी विदाई

सफलतम शिव महापुराण कथा के बाद नम आंखो से गुरूदेव को विदाई दी

महाआरती और महा प्रसादी में हजारों लोगों ने लिया प्रसादी का लाभ

 पेटलावद. 

सात दिन का धार्मीक आयोजन और अंतिम दिन सभी का मन भाव विभोर हो कर नम आंखो से विदाई देना बडा ही मार्मीक दृश्य रहा। जहां हर कोई भाव विभोर हो गया। यह दृश्य सात दिवसीय शिव महापुराण की पूर्णाहुति के बाद विदाई के समय का रहा। जो की कथा की स्वर्णीम सफलता की ओर इशारा करता है।

सात दिवसीय अर्धनारेश्वर शिवमहापुराण कथा का गुरूवार को हुई पुर्णाहुति कथा कें अंतिम दिन भक्तों के भंडारे का आयोजन किया गया। जिसमें हजारों भक्तों ने महाप्रसादी का लाभ लिया। सात दिन तक कथा व्यास पीठ से भक्तों को भगवान शिव की कथा का रसास्वादन करवाने वाले गुरूदेव पं. मदन मोहन कश्यप भी भाव विभोर हो गये। उन्होंने भक्तों से निवेदन किया कि इसी तरह भगवान की भक्ति में रमें रहो और भगवान के कार्यो में सतत लगे रहो।

कथा के अंतिम दिवस कथा के मुख्य आयोजन गुरू कमलाबाई भी भाव विभोर हो गई। उन्होंने गुरूजी को विदाई देने के समय अपनी आंखो से आंसू रोक नहीं पाई कमला बाई को भाव विभोर देख कर गुरूदेव भी अपनी अश्रुधाराओं को रोक नहीं पाए। गुरूदेव को नम आंखो से विदाई दी गई। और नगर के धार्मिक इतिहास में एक और स्वर्णीम अध्याय जुड गया। जहां पर कथा का आयोजन एक किन्नर ने करवाया और नगर के भक्तों ने इस कथा का अमृत पान किया।

कथा के अंतिम दिवस भक्तों के भंडारे का आयोजन रखा गया। इसके पूर्व कथा का माहत्म पढा गया और महाआरती का आयोजन हुआ जिसके बाद भंडारा प्रारंभ हुआ। जिसमें भक्तों ने बढचढ कर भाग लिया। जहां कोई सेवा दे रहा है तो कोई प्रसादी का लाभ ले रहा है। और कोई भजनों और गरबों पर झूमते हुए सेवा कार्य में लगा हुआ है। इस प्रकार के आयोजन से नगर में धर्म का प्रचार हुआ और अधिक से अधिक भक्त इस आयोजन से जुडे।

गुरूदेव श्री कश्यप को विदाई में कमला गुरू के द्वारा 1लाख 21 हजार रूपये नगद और सोने की अंगूठी भेंट स्वरूप दी गई। श्री कश्यप जी लगातार 17 वर्ष की उम्र से भगवान की शिव की सेवा में लगे हुए है और भगवान का गुणानुवादन हर क्षेत्र में जा कर करते है और भक्तों को भाव विभोर कर देते है। उनकी सेवा लगातार जारी रहे इसी कामना के साथ कमला बुआ ने उन्हें नम आंखो से विदाई दी।


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