धर्म मे व्यापार कभी मत करना लेकिन हा व्यापार में धर्म को साथ जरूर रखना

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

हाय का पैसा जीवन मे लाय, लाएं बिना नही रहेगा, अशांति असमाधि और अराजकता पैदा करेगा:
परम् पूज्य श्री गुलाब मुनिजी म.सा.

सम्यक बोध के आभाव में जीव शांति की खोज में अनंत भव से भटक रहा है। 

भौतिक सुख सुविधाएं प्राप्त होने पर भी जीव सुखी नही रहता है उसका कारण है अकाम निर्जरा से पुण्य तो बंध जाता है जिससे भौतिक सुख प्राप्त हो जाते है लेकिन धर्म नही होने के कारण जीव शांति समाधि को प्राप्त नही कर पा रहा है। 

गुरुदेव ने फरमाया की प्रबल पूण्य से तुम्हे बुद्धि बल, धनबल, सत्ताबल मिला है तो उसका सदुपयोग करना, यदि सदुपयोग किया तो वह अगले भव में तुम्हे भी सहाय करेंगे और दुरुपयोग किया तो भव भ्रमण करना ही होगा।
 
दान क्या है ? दान यानी बोना और अधिकार की समाप्ति। यानी दान देने के बाद उस पर तुम्हारा कोई अधिकार नही है। दान देने के बाद नाम लिखवाने की भावना दान नही वास्तव में वह व्यापार है। 
धर्म देने की बात करता है और व्यापार लेने की। 

धर्म मे व्यापार कभी मत करना लेकिन हा व्यापार में धर्म को साथ जरूर रखना, तभी कल्याण होगा।
दान कैसा देना, दान देने के बाद यदि मान न आये तो वह दान है, जिसको दिया उसको नीचा न देखना पड़े  तो दान है, देने के बाद किसी की मदद हो सम्बन्ध न टूटे तो दान है, मैं सहाय कर रहा हु लेकिन भविष्य में आभाव में उसका तकाजा न हो तो दान है, लेने वाला उपकार से दबे नही तो दान है, लेने वाले को पता भी नही पड़े तो दान है। 
दान अदृश्य हो तो पूण्य है। बीज भी जमीन के अंदर अदृश्य होता है तो ही पौधा व पेड़ बनता है यदि बीज जमीन के ऊपर दिखेगा तो वह किसी काम का नही। 
जीव सम्यक बोध के आभाव में दान नही करता है वह व्यापार करता है, नाम की चाह रखता है, यही तो गड़बड़ है। 
आज धन की हाय में लोग शेयर बाजार में पैसा इन्वेस्ट करते है लेकिन यह ध्यान रखना ये शेर है एक दिन खा जाएगा।

धन की हाय में जीव यह भी नही देखता सोचता कि ये पैसा हमने किसी की हाय से या हराम से तो नही कमाया है। क्योकि हाय का पैसा जीवन मे लाय (आग), लाएं बिना नही रहेगा, अशांति, असमाधि और अराजकता पैदा करेगा, इसलिए ऐसे धन से बचना। 
किसी की हाय का या हराम का पैसा आया तो वह डॉक्टर, वकील, डाकू, पुलिस, गुंडे, सरकारी अफसर या कुदरती कहर (अतिवृष्टि, अनावृष्टि, भूकम्प) में चला जाएगा और कदाचित इन सब से बच भी गए तो कर्म सत्ता तुम्हे छोड़ने वाली नही है वह अगले भव में भी ब्याज सहित वसूल कर लेगी। जब किसी बीमार को ब्लड की आवश्यकता होती है तो ग्रुप देखते है कि A, B है या O है गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ने पर व्यक्ति की जान को खतरा हो जाता है। ऐसे ही यदि धन का ग्रुप नही देखा कि वह हाय का है, लाय का है या न्याय का है और ये धन भी गलत ग्रुप (हाय, हराम) का आ गया तो इसके परिणाम तुमको इस भव या परभव में भुगतने ही पड़ेंगे। 
धन कमाने के लिए किसी की हाय नही लेना, किसी को परेशान नही करना, यदि उस बेचारे का तुम्हारे सामने सामर्थ्य नही है, वो बेबस लाचार है तो उसकी भी हाय लगेगी। 

व्यापार में ये चार बाते कभी नही छोड़नी चाहिए-  
1,, धर्म छोड़ना मत। 
2,, झूठ बोलना मत।
3,,खोटा तोलना मापना मत।
4,, किसी के साथ विश्वास घात करना मत।
विचार, व्यवहार और वचन का अमीर बनना ये स्थाई है और धन का अमीर बनना अस्थाई है।

आहार की मात्रा का ध्यान नही रखा तो पेट गड़बड़ और धन की मात्रा का ध्यान नही रखा भव गड़बड़। तो क्यो धन के लिए हाय हाय करना, जो तेरा है वो कही जाएगा नही और जो तेरा नही है वह कभी आएगा नही। आया था जब भी नगन, जायगा जब भी नगन, ना साथ आएगा छगन, ना साथ जाएगा मगन।तो बन्धुओ धर्म को समझकर आराधना करो तो यहाँ भी आनंद वहाँ भी आनंद।

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
उक्त प्रवचन प्रखर वक्ता, प्रवचन प्रभावक, संयम सुमेरु, जन-जन की आस्था के केंद्र  परम् पूज्य गुरुदेव श्री गुलाब मुनि जी महाराज साहब के करही के सफलतम चातुर्मास 2022 के प्रवचनों से साभार

संकलंकर्ता:-
✍🏻विशाल बागमार - 9993048551
डा. निधि जैन - 9425373110
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

". "div"