स्वयं के दुख के लिए तो सभी आंसू बहाते है, दुसरो के दुख के लिए जिनके आंसू बहते है वो आत्मा विरली होती है - पूज्य गुरुदेव श्री गुलाबमुनिजी महाराज साहब
सम्यक बोध के आभाव में जीव गति का परिवर्तन कर रहा है। कुछ बातों में परिवर्तन अपने आप आता है लेकिन कुछ बातों में परिवर्तन करना पड़ता है। और जीव यदि अपने भाव को परिवर्तन कर ले तो उसका मोक्ष बहुत सरल हो जाता है। उक्त विचार प्रखर वक्ता पूज्य गुरुदेव श्री गुलाबमुनिजी महाराज साहब ने करही के अणु नगर स्थित स्थानक भवन में व्यक्त किये।
गुरुदेव ने बताया कि किसका परिवर्तन और किसका पुनरावर्तन करना ? तो पाप का परिवर्तन और पुण्य का पुनरावर्तन करना है।
बार बार जन्म मरण कब तक, कब तक पुनरावर्तन करोगे ये बड़ा दुखदायीं है। शुभ भाव मे पुनरावर्तन के आभाव के कारण आत्मा संसार मे भटक रही है। यदि तुमने भाव का परिवर्तन कर लिया तो तुम्हे किसी की भी बात बुरी नही लगेगी।
सती अंजना को उनके पति पवन कुमार ने विवाह के दिन से 12 वर्ष तक देखा नही, कभी उसके हाल नही लिए, हमेशा उनको उपेक्षित किया लेकिन अंजना ने कभी पवन कुमार को दोष नही दिया कभी उनसे लड़ाई नही की, उन्होंने यही सोचा की ये सब मेरे ही अशुभ कर्मो के उदय के कारण हो रहा है, हो सकता है मैने भी पिछले जन्म में किसी के साथ बुरा किया तो मेरे साथ हो रहा है इसमे किसी का दोष नही सब मेरे ही कर्मो का दोष है।
गुरुदेव फरमाते है कि पैसा सुविधा दे सकता है, सलामती नही दे सकता है वही पूण्य पैसा भी दे सकता है और सलामती भी दे सकता है । लेकिन पूण्य का सदुपयोग नही किया तो पैसे और सलामती के बाद दुर्गति भी हो सकती है। जबकि धर्म पैसा, सलामती और सदगति तीनो दे सकता है।
यदि भाव परिवर्तन हो गए तो किसी का दुर्व्यवहार तुम्हे दुर्व्यवहार नही लगेगा।
हम बोलते है कि हम भगवान के अनुयायी है। अनुयायी मतलब अनुसरण करने वाला।
सोचना की हम भगवान की बातों का कितना अनुसरण करते है।
भगवान महावीर को यक्ष शूलपाणि ने एक रात में सोलह महा उपसर्ग दिए किंतु भगवान ने उफ तक नही की और सरलता व सहजता से सहन किया। जब यक्ष भगवान को दुख देकर थक गया और बैठ गया तब कथाकार कहते है कि भगवान की आंखों से आंसू आ गए। तब यक्ष ने भगवान से पूछा कि मैंने जब तुम्हे इतने दुख दिए तब आंसू नही आये अब क्यो, तो भगवान ने कहा की मुझे तुम्हारे लिए ये आंसू आ रहे है कि तुमने मेरे निमित्त कितने भयंकर अशुभ कर्म बांध लिए है और जब ये कर्म उदय में आएंगे तो तुम्हे कितनी भयंकर वेदना होगी यह देखकर मेरी आँख में आंसू आ गए।
स्वयं के दुख के लिए तो सभी आंसू बहाते है लेकिन दुसरो के दुख के लिए जो आंसू बहाते है वो विरले होते है और वो ही मोक्ष के अखण्ड सुख को प्राप्त कर सकते है।
जिस प्रकार तुम्हारी दुकान का कोई ग्राहक है उसका यहाँ से बहुत दूर ट्रांसफर हो गया और वो तुम्हारी दुकान पर आकर तुम्हारे पुरे रुपये जमा कर देता है तो तुम उसका खाता चुकता कर देते हो और फिर कभी उसे नही खोलते वैसे ही जिसको माफ कर दिया, क्षमा दान दे दिया फिर उसके प्रति जीवन मे कभी भी अशुभ विचार मन में मत लाना। एक भी जीव के प्रति द्वेष किया तो गति बिगड़ने में देर नही लगेगी।
उक्त प्रवचन प्रखर वक्ता, प्रवचन प्रभावक, संयम सुमेरु, जन-जन की आस्था के केंद्र परम् पूज्य गुरुदेव श्री गुलाब मुनि जी महाराज साहब के करही के सफलतम चातुर्मास 2022 के प्रवचनों से साभार


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