कैसी भी परिस्थिति आये मन वचन काया को विचलित मत होने दो

शिकायत करना तो अपनी ही आत्मा से करना, दुसरो से नहीं, जिसके साथ रहना है उनके साथ समभाव से रहना, शिकायत से नही - परम् पूज्य श्री गुलाबमुनिजी महाराज साहब  

प्रबल पुण्य के उदय से जीव को बोलने की शक्ति मिलती है व मन मिलता है। आप कितने पुण्यशाली व भाग्यशाली है जो आपको मन मिला है। 

व्यक्ति अपने धन का इन्वेस्टमेंट उसी शेयर में करता है जिसमे खूब वृद्धि होने के चांस होते है ताकि उसका धन खूब बढ़ सके। और प्रबल पुण्य उदय से जो मन वचन मिला है उसका इन्वेस्टमेंट कैसा किया आपने ? 

उक्त विचार पूज्य गुरुदेव श्री गुलाब मुनिजी महाराज साहब ने करही के अणु नगर स्थित स्थानक भवन में व्यक्त किये। 
गुरुदेव ने फरमाया की अपने पूण्य का इन्वेस्टमेंट भी अच्छा करो ताकि गति सुधर जाए। मन वचन और काया का दुरुपयोग करोगे तो दुख पाओगे और सदुपयोग किया तो उद्धार हो जाएगा।
 
वृक्ष सफल (फल से युक्त) होता है तो वो नम्र हो जाता है झुक जाता है और मानव नम्र बनने के बाद सफल होता है। 
स्थानक में बड़े शांति से सुनोगे लेकिन यहा से जाते ही बाजार में 5 जन मिले की ढक्कन खोला- ये ऐसा, वो वैसा, अरे खुद के लक्खण तो देख लो फिर किसी की बुराई करना। 
लोग अभी मनी पावर बढ़ाने में लगे हुए है, अरे मन से शुभ चिंतन करो तो तुम्हारा विल पावर बढ जाएगा। 
कर्मसत्ता में 8 कर्म पड़े हुए है जब उदय में आते है तो तरह तरह के नाटक शुरू हो जाते है। 

जब कर्म सत्ता में है तब तूम साधना कर लो, वो वही समाप्त हो जाएंगे, भोगने की जरूरत नहीं पड़ेगी, और कर्म उदय में आये तो समभाव से सहन कर लो तो भी गति सुधर जाएगी। 
शाम को आप बिलकुल शांति से हो, सुबह कही अर्जेंट जाना है और रात्री के अंतिम प्रहर में तेज बुखार आ जाए तो बाहर जाना केंसल, अब किसे दोष दोगे, किससे शिकायत करोगे ? अरे ये बुखार कैसे आ गया मुझे, मैं कोर्ट में जाऊंगा, क्या ऐसा करोगे, नही ना क्योकि बुखार तो खुद के असाता वेदनीय कर्म के उदय के कारण आया। 
कोई वस्तु, व्यक्ति या परिस्थिति के कारण यदि प्रतिकूलता हुई हो तो उसे अपने कर्मो का दोष ही समझना। 
स्वयं के मन वचन काया का इन्वेस्टमेंट बुरा करोगे तो इसमें नुकसान किसी दूसरे का नही स्वयं तुम्हारा ही होगा क्योंकि आज नही तो कल, जैसी करनी वैसा फल। कांटे बोकर फल की इच्छा करोगे तो कैसा मिलेगा, जैसे बीज बोओगे वैसा ही तो फल भी मिलेगा न। 
क्योंकि जीव कर्म को तो बड़ी सरलता से बांध लेता है लेकिन उसका भुगतान करने में नानी दादी याद आ जाती है। कैसी भी परिस्थिति आये मन वचन काया को विचलित मत होने दो तो पुण्यवानी बढ़ेगी।
पुण्यवान जीव को कष्ट आते नही और आते है तो ज्यादा देर टिकते नही।
इसलिए ऐ भविजनों भाव सुधारों तो भव सुधर जाएगा। 
शिकायत करना तो अपनी ही आत्मा से करना, दुसरो से नही, जिसके साथ रहना है उनके साथ समभाव से रहना- शिकायत से नही।

उक्त प्रवचन प्रखर वक्ता, प्रवचन प्रभावक, संयम सुमेरु, जन-जन की आस्था के केंद्र  परम् पूज्य गुरुदेव श्री गुलाब मुनि जी महाराज साहब के करही के सफलतम चातुर्मास 2022 के प्रवचनों से साभार
संकलंकर्ता:-
✍🏻विशाल बागमार - 9993048551
डा. निधि जैन - 9425373110

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

". "div"