चारवा प्रवचन
व्यक्ति कर्मो का कर्ता स्वयं है जैसा सप्लाई करोगे वैसा अप्लाई होगा, वैसा ही रिप्लाई मिलेगा
प्रखर वक्ता जन-जन की आस्था के केंद्र परम् पूज्य गुरुदेव गुलाब मुनि जी महाराज साहब ने फरमाया
भगवान महावीर देव ने अपने अनुभव से बताया कि जीव अज्ञानता के कारण अनंत काल से भटक रहा है। आपको अच्छे शब्द सुनाएं और खराब शब्द सुनाएं तो आप क्या करोगे ?
प्रायः अच्छे शब्दों पर प्रसन्नता और बुरे शब्दों पर नाराजगी होती है। कुछ साल पहले की बात है सरकार के वेयरहाउस में 1000 टन अनाज खराब हो गया था उन्होंने उसे नीलाम कर दिया तो वह सड़ा गला अनाज एक रुपए किलो में बिस्किट कंपनी वाले ले गए और उसे पीसकर उसका मैदा बनाकर उसके बिस्किट बना दिए जिसे दुनिया ने मजे से खाए। यदि कोई आपको सड़े मैदे वाली चीजें खिलाएं तो आप खाएंगे ?
मगर वही चीज अच्छे रैपर में आ जाए रूप परिवर्तन करके आ जाए तो ? उसी तरह किसी के बुरे शब्दों को यदि जिनवाणी का रेपर लगा दिया जाए तो नाराजगी नहीं आएगी।
सड़े अनाज से बनी वस्तु अच्छे रैपर वाली होने पर भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होगी किंतु बुरे शब्दों जिनवाणी का रैपर लगा देने से वे आत्मा के लिए लाभकारी होगे।
कचरा (निंदा ) सुनने के लिए लोग बाजार में खड़े हो जाएंगे, जिनवाणी सुनने के लिए समय नहीं।
केला खाते हैं छिलका फेंक देते हैं बुराइयां, चुगलिया भी छिलके के समान ही है। कितनी सारी बातें उसने ऐसा कहा, वैसा कहा सब याद है, उनको संग्रह करके रखा। जो याद रखना है वह नहीं। जैसा सप्लाई करोगे वैसा कर्म सत्ता के यहां अप्लाई होगा और वैसा ही रिप्लाई मिलेगा।
मानव को कभी भी दुख आता है तो दूसरों के सामने उंगली उठाता है दूसरो को दोषी ठहराते हैं। जबकि कर्म का कर्ता स्वयं खुद ही है।
किसी का नुकसान किया तो नुकसान होगा, नुकसान नहीं किया तो नहीं होगा। अगर थोड़ा सा भी ज्ञान रहेगा तो संकट से भी बाहर आ जाएगा।
जिसके साथ ऋणानुबंध होते हैं उसके साथ संबंध ऑटोमेटिक जुड़ जाते हैं। पशु पक्षी के भी मानव के साथ ऋणानुबंध होते है। आपने देखा होगा किन्हीं घरों में मानव की उपेक्षा तो होती है किंतु पशु पक्षी को ऐसे लाड़ प्यार से पाला जाता है मानो स्वयं का बच्चा हो।
धर्म की जड़ हमेशा हरी रहती है कभी सूखती नहीं।
हमेशा अच्छे शब्दों का प्रयोग करना चाहिए और बोलने में मिठास होनी चाहिए। बीमार व्यक्ति को साता पूछो तो उसका खून बढ़ जाता है। बूढ़े और बच्चे समान होते हैं। आज बच्चों को मां बाप के पास बैठने का समय नहीं।
काम करने से शरीर कमजोर नहीं होता है मजबूत होता है। चिंता नहीं चिंतन करना चाहिए उससे दुख कम होता है।
अगर अपने पास ज्ञान है धर्म है तो किसी भी संकट से निकल सकते हैं, नहीं तो भटक सकते हैं। ज्ञान क्या है स्वयं जियो और दूसरों को भी जीने दो। सुख दोगे तो सुख मिलेगा दुख दोगे तो दुख मिलेगा।
जिन आज्ञा विरूद्ध कुछ लिखने में आया हो तो मिछामी दुकड़म🙏🏻
संकलंकर्ता:- कीर्ति पवार
डा. निधि जैन - 9425373110

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