कोर्ट में अक्ल का अधूरा और जेब का पूरा जाता है

 प्रवचन हरदा, 31मार्च 2023

धन और धरती हमेशा कंवारे रहते हैं उनका कोई मालिक नहीँ होता 

प्रखर वक्ता, प्रवचन प्रभावक परम्  पूज्य  गुरुदेव  श्री गुलाब मुनि जी महाराज सहाब  ने हरदा के धर्म स्थान में फरमाया - जीव स्वयं कर्ता एवं भोक्ता है। भगवान महावीर ने भव्य आत्माओं को अपने जैसा बनाने के लिए  संदेश दिया अपना बनाने के लिए नहीं। आपत्ति ही उत्थान का मार्ग बताती है। जो पढता है उसी की परीक्षा होती है। जो नहीं पढे उसकी कोई परीक्षा नहीं होती। संसार तो मायाजाल है समझे तो नीहाल है  और  ना समझें तो बेहाल है l

जैसा supply वैसा reply 

संसार स्वार्थ की धुरी पर चल रहा है।

मेरा कौन है ? कोई नहीं। कोई किसी के साथ मरने को तैयार नहीं। जीव अकेला आया है अकेला जाएगा।

सिकंदर बादशाह की कहानी हमें यही सिखाती है पुण्य लेकर आये है पर पाप लेकर जा रहे  दुर्गति निश्चित है। धर्म करोगे तो पाप से डरने क़ी ज़रूरत नहीं।

एक बार  सिकंदर बादशाह ने अपने गुरु अरस्तु से पूछा कि मै विश्व विजेता बनना  चाहता हू और भारत जा रहा हूं। अरस्तु ने कहा कि आप भारत से एक महात्मा को मेरे पास लाए या उसकी सेवा करे। सिकंदर ने बहुत से महात्मा को ढूँढ़ा और कहा कि मेरे साथ चले मैं आपकी सेवा करना चाहता हूँ। तब महात्मा ने कहा की पहले तुम मेरी यही सेवा करो - मै ध्यान करूंगा और आप मक्खीं  मच्छर उड़ाना  जिससे मेरा ध्यान सही ढंग  से हो। सिकंदर को तब समझ आया की महात्मा  क्या  होते है ?

वो फिर गुरु के पास गये तब गुरु ने कहा की मैंने आपको इसीलिए भेजा था कि आपको समझ आ जाए भारत इतना महान देश क्यों है और वहां की संस्कृति कितनी महान है!!!

  एक साधे सब सधे, सब साधे सब जाए। केवल एक को सिद्ध भगवान को साध लिया तो सब सध जाएंगे और यदि आप सबको साधने गए, संसार को साधने गए तो सब जाएंगे अर्थात कुछ भी आपके हाथ नहीं आएगा।

धन और धरती हमेशा कंवारे रहते हैं उनका कोई मालिक नहीं होता है वो  कभी किसी के नहीं होते।  

इलाहबाद कोर्ट में दो भाइयों  की स्टैच्यू लगी है। उनके पास बहुत सारी ज़मीन थी। सारी जमीन संपत्ति का तो बंटवारा हो गया लेकिन दोनों का आपस में एक जमीन के छोटे से टुकड़े को लेकर लड़ाई हुई और दोनों कोर्ट में पहुंचे। कोर्ट में केस लड़ते-लड़ते उनकी सारी जमीन संपत्ति बिक गई। बस वह एक ही टुकड़ा बचा था जिस पर कोर्ट केस किया था। कोर्ट में अक्ल का अधूरा और जेब का पूरा जाता है। वहां न्याय मिल सकता है पर समाधान नहीं। समाधान तो जिनवाणी के माध्यम से ही मिल सकता है। अहम टकराता हैं और वहम भटकाता है।

शंका की कोई औषधि नहीं। अहम और वहम के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए 

पाप किसी का सगा होता नहीं पुण्य किसी को दगा देता नहीं 

 जिन आज्ञा विरुद्ध कुछ लिखने में आया हो तो मिच्छामि दुक्कड़म 

संकलंकर्ता:- अल्पना जैन हरदा

डा. निधि जैन 

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