जो टूटे हुए दिलों को जोड़ता है, वही धर्म है



जो टूटे हुए दिलों को जोड़ता है, वही धर्म है
प्रखर वक्ता पूज्य गुरुदेव श्री गुलाब मुनि जी म.सा. 

गुरुदेव ने फरमाया कि तीर्थंकर भगवान निःस्वार्थ भाव से निष्काम बुद्धि से भवीजीवो के कल्याण के लिए उपदेश देते हैं। कोरोना वायरस ने लोगों को अच्छा अनुभव करवाया कोई अपना नहीं था, अपना है नहीं और अपना होगा भी नहीं। 

भगवान के पास तन बल, मन बल, धन बल, सत्ता बल और बुद्धि बल त्रिपुष्ट वासुदेव के भव में सभी था तो भी वे सातवीं नरक में गए। 

इस अवसर्पिणी काल में जितने कर्म वीर प्रभु के थे उतने किसी के नहीं थे। चक्रवर्ती बने अनंत ऐश्वर्य को पाया लेकिन फिर भी मुक्ति नहीं हुई कर्मों को भोगे बिना मुक्ति नहीं मिली। 

भगवान ने उपदेश दिया था मेरा बनाने के लिए नहीं, मेरे जैसा बनने के लिए। आज पार्टी बनाने का गुरु के नाम पर धंधा चल गया है। यह मेरे शिष्य यह मेरा संप्रदाय यह मेरा गण धर्म के नाम पर एजेंटों ने यह धंधा शुरू कर दिया सच्चा साधु कभी भी शिष्य का लोभ नहीं रखता ना भक्तों का लोभ रखता जो साधु यह सोचे कि शिष्य मेरी सेवा करेगा वह परिग्रह दोष लगाता है द्विपद का परिग्रह करता है जहां मेरा तेरा है वहां धर्म नहीं

हम दूसरों के लिए दूरबीन बन गए हैं स्वयं के लिए आईना बन गए हैं दूरबीन दूसरों के दोषों को बड़ा करके देखता है और आईना स्वयं के दोषों को छोटा करके देखता है धर्म किसे कहते हैं टूटे हुए दिलों को जोड़ता है उसे धर्म कहते हैं

धर्म पुल का कार्य करता है दीवार का काम नहीं करता धर्म के नाम पर परिवार समाज संघ टूटता है तो वह धर्म नहीं धर्म के नाम पर ढोंग है। धर्म से जुड़ोगे तो तीर जाओगे और व्यक्ति से  जुड़ोगे तो डूब जाओगे। 

मेरा जबरदस्ती का सौदा नहीं है पर माल पूरा गारंटेड है मुझे किसी को अपना बनाना नहीं सभी मेरे हैं साधु बनकर एजेंट बनाना डूब्बाणं डाबयाणं का धंधा है तिण्णाणं तारयाणं का धंधा नहीं। जिसे अपना माना उसे फुग्गा बनाकर खूब फुलाया पुण्य के उदय से जो पद मिलता है उसमें भूत लगता है अर्थात अध्यक्ष बने तो थोड़े समय बाद भूतपूर्व अध्यक्ष कहलाएंगे इसी प्रकार अन्य पदों के बारे में भी समझना। 

लेकिन पुण्य के क्षय से जो पद मिलता है उसमें कभी भूत नहीं लगता वह है सिद्ध पद याद रखना भूत पीछे पड़ गया तो दाल पतली हो जाएगी। मैं अध्यक्ष, मैं मंत्री, मैं सी.एम. इस तरह मैं -मैं किया ऐसा मैं- मैं तो बकरी करती है हमें भूत को मिटाना है तो धर्म से जुड़ना पड़ेगा। 

कर्म उदय में आए दुख आया परेशानी आई कोई नया काम करना है शादी करनी है, मांगलिक सुन लो याद रखना यह मांगलिक हमारे दुख भगा देगी ऐसा सोच कर मत सुनना। यह तो मांगीलाल के लक्षण है। हमें चार शरणा मिले किन्हीं भी परिस्थितियों में यह चार शरण छूटे नहीं इस भावना से मांगलिक सुनना। 

संसार गोल है, कैसे स्त्री कॉकरोच से डरती है काकरोच चूहे से, चूहा बिल्ली से,  बिल्ली कुत्ते से, कुत्ता आदमी से, आदमी औरत से और औरत काकरोच से डरती है, है ना दुनिया गोल। कोर्ट में कौन जाता है जो जेब का पूरा, अक्ल का अधूरा, जबान का झूठा और हृदय का गुट्टा हो याद रहे समाधान का रास्ता लेना न्याय का रास्ता नहीं लेना जड़ के लिए चेतन से संबंध नहीं बिगाड़ना धर्म साथ रहे उसे कभी छोडू नहीं यही एकमात्र रास्ता है

पूज्य श्री कैलाश मुनि जी महाराज साहब ने आदर्श श्रावक की विशेषता बताई पहली विशेषता जिनवाणी सुनना चुके नहीं, दूसरी विशेषता लिए हुए पच्चखान से मुके नहीं हम गाड़ी चला रहे हैं एक्सीडेंट हो गया पैर में चोट लगी फैक्चर हो गया तो क्या हम पैर को फेंक देंगे नहीं ना उसका इलाज करवाएंगे वैसे ही हमने प्रत्याख्यान लिए किन्ही कारणों से टूट गए तो क्या प्रत्याख्यान  लेना छोड़ देना, नहीं ना हमें लगे दोषों की आलोचना कर प्रायश्चित कर प्रतिक्रमण कर फिर से व्रतों में स्थिर होना व्रत प्रत्याख्यान चौकीदार के समान है जो हमारी आत्मा की सुरक्षा करते हैं।

प्रखर वक्ता पूज्य गुरुदेव श्री गुलाब मुनि जी म.सा. द्वारा  खिरकिया धर्मसभा से लिए गए प्रवचन के अंश, 20 मार्च 2023

जिन आज्ञा विरुद्ध कुछ लिखने में आया हो तो मिच्छामि दुक्कड़म 🙏

संकलनकर्ता-

रश्मि श्रीश्रीमाल खिरकिया

डा. निधि जैन - 9425373110


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