जिला है औषधीय ज्ञान का खजाना – कैबिनेट मंत्री निर्मला भूरिया

“डुंगर बाबा नी जड़ी बूटियों नु जोवनार” कार्यशाला : परंपरागत ज्ञान के संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल

जिला औषधि का खजाना – कैबिनेट मंत्री निर्मला भूरिया

झाबुआ, 07 अप्रैल 2025

जिला प्रशासन, आयुष विभाग और मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद के संयुक्त तत्वावधान में “डुंगर बाबा नी जड़ी बूटियों नु जोवनार” के अंतर्गत जिला स्तरीय कार्यशाला का भव्य आयोजन 7 अप्रेल सोमवार को किया गया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य जिले में पीढ़ियों से संचित परंपरागत औषधीय ज्ञान का संरक्षण, संवर्धन एवं दस्तावेजीकरण करना था, जिससे यह अमूल्य धरोहर आने वाली पीढ़ियों तक अक्षुण्ण बनी रहे।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि महिला एवं बाल विकास विभाग की कैबिनेट मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया रहीं, वहीं अध्यक्षता कलेक्टर सुश्री नेहा मीना ने की। कार्यशाला की शुरुआत आयुर्वेदाचार्य भगवान धनवंतरी के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन से की गई, जिससे कार्यक्रम में आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक ऊर्जा का संचार हुआ।

जिला है औषधीय ज्ञान का खजाना – कैबिनेट मंत्री निर्मला भूरिया
कैबिनेट मंत्री सुश्री भूरिया ने कहा कि झाबुआ जिला परंपरागत औषधीय ज्ञान का खजाना है। जिलेभर से आए अनुभवी जानकारों से प्राप्त जानकारी अत्यंत समृद्ध एवं अभिभूत करने वाली है। उन्होंने कहा कि जड़ी-बूटियों का उपयोग यदि सही मात्रा और विधि से किया जाए, तो यह अत्यंत प्रभावी व साइड इफेक्ट रहित उपचार प्रदान करती हैं। कोरोना काल में भी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आयुष पद्धतियों के महत्व को पुनः स्थापित किया गया और अब यह जागरूकता जन-जन तक पहुँच रही है।

उन्होंने कहा कि ज्ञान को साझा करने से उसका विकास होता है। इसीलिए परंपरागत ज्ञान का दस्तावेजीकरण कर, हम इसे एक ज्ञानमयी धरोहर के रूप में संजो सकते हैं। उन्होंने जिले में एक “औषधीय उद्यान” की परिकल्पना भी साझा की, जिसमें स्थानीय जलवायु के अनुसार विविध जड़ी-बूटियों का उत्पादन किया जाएगा।

कलेक्टर नेहा मीना की पहल और रणनीति

कलेक्टर सुश्री नेहा मीना ने कहा कि पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित करने की दिशा में यह कार्यशाला एक मील का पत्थर है। उन्होंने बताया कि विगत छह माहों में घर-घर जाकर सर्वेक्षण किया गया और अनुभवी जानकारों की सूची तैयार की गई। इन जानकारों से प्राप्त ज्ञान को व्यवस्थित रूप से लिपिबद्ध कर आगामी पुस्तकों और रिपोर्ट्स के माध्यम से प्रकाशित किया जाएगा, ताकि आने वाली पीढ़ियों को यह अमूल्य धरोहर सुलभ हो।

उन्होंने कहा कि जैसे आयरन की कमी से निपटने के लिए “मोरिंगा पाउडर” का उपयोग सफल हुआ, वैसे ही जिले में मौजूद पारंपरिक उपचार विधियाँ भी आधुनिक स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान बन सकती हैं। उन्होंने प्रदर्शनी में देखी गई नई-नई जड़ी बूटियों पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि यह ज्ञान जनसामान्य तक पहुँचना चाहिए।

अनुभवी जानकारों की अनमोल प्रस्तुतियाँ

कार्यक्रम में विभिन्न अनुभवी जानकारों ने अपने परंपरागत ज्ञान और अनुभव साझा किए। पेटलावद से आए श्री विनोद ने बताया कि उनके पिता डिप्टी रेंजर थे, जिनसे उन्होंने जंगलों में जड़ी-बूटियों का ज्ञान प्राप्त किया। उन्होंने बताया कि “जंगली गेखरू” का उपयोग पथरी के इलाज में किया जाता है और वे अब तक 2-3 लाख मरीजों का उपचार कर चुके हैं। साथ ही पाइल्स के उपचार के लिए “मार्सेली” के बीजों का प्रयोग भी उन्होंने साझा किया।

श्री खुमान डामोर ने बताया कि कोरोना काल में “गुड़” और “तुलसी” से बने काढ़े का उपयोग किया गया, जिससे अनेक लोगों को राहत मिली। उन्होंने “नीम की निंबोली” को श्वेत प्रदर, “एलोवेरा” को गठान और “शीशम की छाल” को शराब की लत छुड़ाने में उपयोगी बताया।

जड़ी-बूटी प्रदर्शनी का आयोजन
कार्यक्रम में आयुष विभाग और समस्त विकासखंडों के सहयोग से एक विशेष जड़ी-बूटी प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इसमें स्थानीय जानकारों द्वारा लाई गई दुर्लभ एवं उपयोगी औषधीय वनस्पतियों को प्रदर्शित किया गया। अतिथियों एवं आगंतुकों ने इस प्रदर्शनी का अवलोकन किया और परंपरागत औषधीय ज्ञान की प्रशंसा की। एक बुजुर्ग जानकार ने इस पहल के लिए कलेक्टर को धन्यवाद ज्ञापित किया, जिससे सभी के चेहरे पर गर्व की मुस्कान देखने को मिली।
सम्मान समारोह : अनुभव को मिला सम्मान
इस अवसर पर जिले भर से आए लगभग 75 अनुभवी जानकारों को कैबिनेट मंत्री सुश्री भूरिया द्वारा प्रमाण-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन लोगों के लिए था जिन्होंने वर्षों से अपने अनुभव और ज्ञान से समाज की सेवा की है।

आगामी कार्ययोजना : ज्ञान का दस्तावेजीकरण
कार्यशाला के उपरांत एक सुव्यवस्थित दस्तावेजीकरण की योजना तैयार की गई है। इसके अंतर्गत प्रत्येक जानकार से जुड़ी जानकारी – जैसे ज्ञान प्राप्ति का स्रोत, गुरु का नाम, उपचार पद्धति, रोग पहचान की प्रक्रिया, जड़ी-बूटियों के नाम, मात्रा, उपलब्धता, उपचार की समयावधि और विशेष प्रभाव आदि – को संकलित कर हिंदी और अंग्रेजी भाषा में पुस्तिका एवं डिजिटल फॉर्मेट में प्रकाशित किया जाएगा।

“डुंगर बाबा नी जड़ी बूटियों नु जोवनार” कार्यशाला न केवल एक आयोजन था, बल्कि यह जनजातीय सांस्कृतिक विरासत के पुनर्जीवन की दिशा में एक ऐतिहासिक प्रयास सिद्ध हुआ। इस पहल ने यह साबित कर दिया कि जब प्रशासन, समाज और ज्ञान एक मंच पर आते हैं, तो परंपरा को भविष्य से जोड़ना संभव हो जाता है।

Dr.Talera's Multi-speciality Dental Clinic, Thandla 

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