अज्ञानी मृत्य को मिटाने की कोशिश करता है और ज्ञानी जन्म को मिटाने की कोशिश करते है
संसार मे एक भी सुख ऐसा नही जो खरीदा जा सके और एक भी दुख ऐसा नही जो बेचा जा सके। ये जीव संसार की तृष्णा का मारा हुआ है। मेरे साथी व्यापारी को लाभ हुआ तो मुझे भी हो ये कैसे संभव होगा क्योंकि हर जीव के पुण्य अलग अलग है।
उक्त विचार प्रखर वक्ता, परम् पूज्य गुरुदेव श्री गुलाब मुनिजी महाराज साहब ने करही के अणु नगर स्थित स्थानक भवन में व्यक्त किये।
गुरुदेव ने फरमाया की इच्छाएं ही जीव को अशांत बनाती है और इच्छाओं के सागर में जीव गोते खाते रहता है !
इच्छाएं कभी बांझ नहीं होती, एक इच्छा पूरी हो तो दूसरी खड़ी हो जाती है। अप्राप्त को प्राप्त करने की इच्छा ने ही तो जीव को अशांत कर रखा है।
आजकल लोग पाश्चात्य संस्कृति को अपनाने के पीछे पड़े है।
HAPPY BIRTHDAY TO YOU और विवाह वर्षगांठ पर CONGRATULATIONS कहने का फैशन है। अरे भाई ये सब टेंडर भरने का कार्य है तुम क्यो उनके इतने सालों के पापो की अनुमोदना करते हो। शुभकामनाये देना हो तो उसे यह बोलो की भाई तुम्हारा जीवन धर्ममय हो, सबकी सेवा करो। तुम्हारे यह शुभभाव दोनों का उद्धार करेंगे।
लेकिन लोग वेस्टर्न संस्कृति को अपना रहे है, याद रखना सूर्य भी वेस्ट में जाकर डूब जाता है, अतः इसे अपनाओगे तो डूब जाओगे, यह अपनाने लायक नही है।
किसी को भी सुधारने की सोचो, बिगाड़ने की नही, हर किसी को बसाने की सोचो, उजाड़ने की नही। धर्म पुल का काम करता है जो दो किनारों को एक कर देता है। तुम्हारे जीवन मे एक भी जीव ऐसा मत रखना जिसके लिए तुम्हारे मन मे द्वेष हो, क्योकि एक से भी द्वेष रखा तो मामला गड़बड़ हो जाएगा।
मतभेद हो सकते है लेकिन किसी से मनभेद मत रखना।
अज्ञानी मृत्यु को मिटाने की कोशिश करते है जबकि ज्ञानी जन्म को मिटाने की कोशिश करते है, और जब जन्म होगा तो मरण तो निश्चित होगा ही। इसलिए जन्म को ही रोक लो तो मृत्यु का भय ही समाप्त हो जाएगा और वो मोक्ष से ही प्राप्त हो सकता है।
तुम्हारे पूण्य उदय से तुम्हे बोलने की शक्ति मिली तो सदुपयोग करो, मीठे व नम्र वचन बोलो, कर्कश व अपशब्द बोलकर क्यो भव बिगाड़ते हो, चन्द दिन की जिंदगी मिली है तो क्यो किसी को गलत बोलना। किसी ने हमे गलत बोल दिया, गाली दे दी, तीखा बोल दिया तो सहन कर लो इसी में भलाई व समझदारी है, इससे तुम्हारा कुछ बिगड़ेगा तो नही, लेकिन तुम्हारे पाप कर्म जरूर कट जाएंगे।
तुम तपस्या करो बहुत अच्छी बात है लेकिन यदि तपस्या नही हो रही है तो कम से कम अपने लक्खण तो सुधार ही लो।गुरूदेव ने अपने बचपन का वृतांत भी सुनाया जिसमे आपने बिच्छु के डंक की तीव्र वेदना के अनुभव को बताया। आपने बोला कि यहाँ सरलता से वेदना सहन कर लो तो नरक की वेदना सहन नही करनी पड़ेगी।
उक्त प्रवचन प्रखर वक्ता, प्रवचन प्रभावक, संयम सुमेरु, जन-जन की आस्था के केंद्र परम् पूज्य गुरुदेव श्री गुलाब मुनि जी महाराज साहब के करही के सफलतम चातुर्मास 2022 के प्रवचनों से साभार


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